Home हिंदी एक तनख्वाह से कितनी बार टैक्स दूं और क्यों… जवाब है? 

एक तनख्वाह से कितनी बार टैक्स दूं और क्यों… जवाब है? 

वरिष्ठ पत्रकार और लेखक कल्पेश रावल का एक लेख इन दिनो सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है, हो भी क्यों ना, जो हर नौकरीपेशा के दिल की आवाज इसमें हो. हम आत्मनिर्भर खबर डॉट कॉम के पाठकों के लिए यह लेख पेश कर रहे हैं…

मैंने तीस दिन काम किया, तनख्वाह ली – इनकम टैक्स दिया

मोबाइल खरीदा – टैक्स दिया

रिचार्ज किया – टैक्स दिया

डाटा लिया – टैक्स दिया

बिजली ली – टैक्स दिया

घर लिया – टैक्स दिया

टीवी फ्रीज आदि लिए – टैक्स दिया

कार ली – टैक्स दिया

पेट्रोल लिया – टैक्स दिया

सर्विस करवाई – टैक्स दिया

रोड पर चला – टैक्स दिया

टोल पर फिर – टैक्स दिया

लाइसेंस बनवाया – टैक्स दिया

गलती की तो – टैक्स दिया

रेस्त्रां में खाया – टैक्स दिया

पार्किंग का – टैक्स दिया

पानी लिया – टैक्स दिया

राशन खरीदा – टैक्स दिया

कपड़े खरीदे – टैक्स दिया

जूते खरीदे – टैक्स दिया

किताबें लीं – टैक्स दिया

टॉयलेट गया – टैक्स दिया

दवाई ली तो – टैक्स दिया

गैस ली – टैक्स दिया

सैंकड़ों और चीजें ली और – टैक्स दिया, कहीं फीस दी, कहीं बिल, कहीं ब्याज दिया, कहीं जुर्माने के नाम पर तो कहीं रिश्वत के नाम पर पैसे देने पड़े, ये सब ड्रामे के बाद गलती से सेविंग में बचा तो फिर टैक्स दिया –

सारी उम्र काम करने के बाद कोई सोशल सिक्योरिटी नहीं, कोई मेडिकल सुविधा नहीं, पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं, सड़कें खराब, स्ट्रीट लाइट खराब, हवा खराब, पानी खराब, फल सब्जी ज़हरीली, हॉस्पिटल महंगे, हर साल महंगाई की मार, आकस्मिक खर्चे व आपदाएं, उसके बाद हर जगह लाइनें.

सारा पैसा गया कहां?

करप्शन में,

इलेक्शन में,

अमीरों की सब्सिडी में,

माल्या जैसों को भगाने में,

अमीरों को फर्जी दिवालिया होने में,

स्विस बैंकों में,

नेताओं के बंगले और कारों में,

रहा सहा विधायक खरीदने में,

और हम झंडू बाम बनाने में.

अब किसको बोलूं कौन चोर है?

आखिर कब तक हम सभी देशवासी यूं ही घिसटती जिंदगी जीते रहेंगे.