कोथरुड हॉस्पिटल के प्रसिद्ध सर्जन डॉ. गुंडेवार ने मरीज को जीवनदान दिया
पुणे ब्यूरो: पश्चिमी महाराष्ट्र में पहली बार ४६ वर्षीय मरीज के पेट से ४ किलो वजनी तिल्ली निकालकर सुपर मेजर आपॅरेशन कर उसे जीवनदान दिया गया. यह कीमिया पुणे के आधुनिक सुविधाओं से लैस कोथरूड हॉस्पिटल के सर्जन डॉ. राजेंद्र गुंडावार की टीम ने किया है.
अजय अनंत बेंद्रे नाम का शख्स (४६ वर्ष) पेट दर्द के कारण ८ महीने से छोटे बडे अस्पतालों में भटक रहा था. लेकिन दर्द कम नहीं हुआ बल्कि बढ गया. इसलिए उन्हें पुणे के कोथरूड अस्पताल में भर्ती कराया गया था. डॉक्टरों ने जांच करने पर पता चला कि पेट में तिल्ली है. जिसमें तिल्ली का सामान्य आकार और वजन कई गुना बढ गया था. आम तौर पर तिल्ली का सामान्य आकार १२ सेमी से ५ सेमी होता है. लेकिन यह और ७ सेंटीमीटर से ज्यादा बढ गया था. तो प्लीहा ने पेट के आधे से ज्यादा हिस्से को ढक लिया. साइज बढने की वजह से उनका वजन ४ किलो से ज्यादा हो गया था.
इस संबंध में डॉ. गुंडावार ने बताया, आमतौर पर तिल्ली का वजन ७० से ८० ग्राम होता है. लेकिन इस मरीज के पेट के एक तरफ ४ किलो की तिल्ली थी. मरीज के ऑपरेशन के दौरान नस को धमनी से बांध दिया गया, जिससे खून का बहाव कम हो गया और जमा हुआ खून बाहर निकला गया. १२ इंच का छेद कर ४ किलों की तिल्ली निकाली गई. अजय बेंद्रे के शरीर में बढी हुई तिल्ली थी. जिससे यह आंतों ओर बेम्बी से सटा हुआ था. बढी हुई प्लीहा होने के दुष्प्रभाव में एनीमिया, श्वेत रक्त कोशिकाओं में कमी और प्लीहा के फटने का अधिक जोखिम था. अगर ऑपरेशन में और देर होती तो यह जानलेवा हो सकता था. ऑपरेशन में चार घंटे लगे और मरीज को खून चढाने की जरूरत नहीं पडी.
इस सर्जरी के दौरान डॉ. राजेंद्र गुंडावार की टीम में डॉ. तुषार दाते, डॉ. दिव्यानी, डॉ. दीप्ति पोफले और डॉ. राजेंद्र मिटकर शामिल हुए थे.
इस संबंध में डॉ. राजेंद्र मिटकर ने कहा, ३५ साल से हजारों ऑपरेशन कर रहे डॉ. गुंडावार ने यह बेहद जटिल सर्जरी की है. बढे हुए प्लीहा के कारणों में संक्रमण, मलेरिया, टाइफाइड, एचआईवी और टीबी शामिल हैं. इसके अलावा लिवर की बीमारियां जैसे पोर्टल हाइपरटेंशन, कैंसर, ऑटो इम्यून डिजीज और मेटाबॉलिक डिजीज भी हैं. देश के १२.५ फीसदी लोग तिल्ली से पीडित हैं. अस्पताल आधुनिक तकनीक का उपयोग कर मरीजों को सस्ती दरों पर चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर रहे हैं.
लाखों में एक मामला
डॉ. राजेंद्र गुंडावार ने कहा, तिल्ली निकालने का ऑपरेशन सामान्य है. जब कोई दुर्घटना या घटना में घायल हो जाता है और फिर उसका ऑपरेशन किया जाता है, तो तिल्ली फट जाती है. इतनी बडी और भारी तिल्ली के ऑपरेशन होते हैं. मरीज अजय जैसे केस लाखों में एक होता है.
तिल्ली बढने के कई कारण होते हैं. जिसमें मुख्य रोग लंबे समय तक शरीर में रहना, मलेरिया, दूषित स्थानों पर रहना आदि कारणों को अजय के मामले में स्पष्ट नहीं किया जा सका.
तिल्ली का कार्यः
डॉ. राजेंद्र गुंडावार ने कहा कि मनुष्य के शरीर के दाहिनी ओर यकृत और बाई ओर तिल्ली होती है. इसका मुख्य कार्य शरीर के अंदर बलगम का उत्पादन कर रोग प्रतिरोधिक क्षमता प्रदान करना है. दूसरा काम है खून से बैक्टीरिया और अनावश्यक आयरन को हटाना और संक्रमण से बचाना.