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HEALTH | हैदराबाद के चिकित्सकों की मेहनत रंग लाई, किडनी ट्रांसप्लांट कर दिया नया जीवन

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– हैदराबाद के डॉ. सी.मल्लिकार्जुन, डॉ. एम. वेंकटेश्वर राव, डॉ. सुजीथ रेड्डी को मरीज और परिजनों ने दिया श्रेय

– रिश्तों की अनोखी मिसाल, जीजा के लिए साले ने किया किडनी का दान


नागपुर ब्यूरो : जीवन यात्रा में कभी-कभी ऐसी परिस्थितियां बन जाती हैं जब एक-दूसरे के लिए जान भी न्यौछावर करना पड़ जाता है. ऐसा ही एक मामला विदर्भ में सामने आया है. गढ़चिरोली जिले की अहेरी के निवासी, वन वैभव शिक्षण मंडल के उपाध्यक्ष तथा सामाजिक कार्यकर्ता अब्दुल जमीर हकीम पिछले कुछ वर्षों से किडनी की समस्या से ग्रस्त थे. आखिरकार उनकी पत्नी के भाई ने किडनी दान कर उनकी जान बचाई है और बेहतर स्वास्थ्य की दिशा में आगे बढ़ने प्रोत्साहित किया है. किडनी ट्रांसप्लांट होने के बाद जमीर हकीम स्वस्थ हो चुके हैं और उन्होंने तथा उनके परिजनों ने इसका पूरा श्रेय हैदराबाद के एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेफ्रोलॉजी एंड यूरोलॉजी के डॉ. सी.मल्लिकार्जुन, डॉ. एम. वेंकटेश्वर राव, डॉ. सुजीथ रेड्डी को दिया है.
एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेफ्रालॉजी एंड यूरोलॉजी के चीफ कंसलटेंट नेफ्रोलॉजी डॉ. एम. वेंकटेश्वर राव के साथ अब्दुल जमीर हकीम, शाहीन हकीम किडनी दाता शकील शेख और उनकी पत्नी समीना शेख.

मरीज, परिजनों ने कहा- ‘थैंक यू डॉक्टर्स…’

अब्दुल जमीर हकीम और उनकी पत्नी राकांपा की नागपुर विभागीय अध्यक्ष तथा गढ़चिरोली जिला महिला राष्ट्रवादी कांग्रेस अध्यक्ष शाहीन जमीर हकीम ने हैदराबाद स्थित एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेफ्रालॉजी एंड यूरोलॉजी के मैनेजिंग डायरेक्टर तथा चीफ कंसलटेंट यूरोलॉजी डॉ. सी. मल्लिकार्जुन, चीफ कंसलटेंट नेफ्रोलॉजी डॉ. एम. वेंकटेश्वर राव, कंसलटेंट नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. सुजीथ रेड्डी का विशेष रूप से आभार माना है. उनका कहना है कि किडनी ट्रांसप्लांट की इस पूरी प्रक्रिया के दौरान इन डॉक्टरों ने न सिर्फ मरीज का खयाल रखा बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बनाए रखा. डॉक्टरों के व्यवहार और प्यार की बदौलत ही आज यह नया जीवन उन्हें मिला है. उल्लेखनीय है कि अब्दुल जमीर हकीम और शाहीन जमीर हकीम यह दोनों भी हाल में लोकमत के ‘आइकॉन ऑफ सेंट्रल इंडिया’ पुरस्कार से सम्मानित किए गए हैं.

जीजा के लिए आगे आया पत्नी का भाई

उन्हें बार-बार डायलिसिस से गुजरना पड़ता था. बड़े-बड़े अस्पतालों में दिखाने के बाद चिकित्सकों ने उन्हे किडनी ट्रांसप्लांट के लिए सुझाव दिया था. नियमों के मुताबिक किसी रक्त संबंधी से ही किडनी ली जा सकती है. उनके रक्त संबंधियों की जांच भी कराई गई. लेकिन अंतत: उनकी पत्नी के नागपुर निवासी भाई शकील शेख ने एक उदाहरण पेश किया और अपनी एक किडनी अपने जीजा अब्दुल जमीर हकीम को ट्रांसप्लांट के लिए दी. पिछले तीन-चार महीने से अब्दुल जमीर हकीम हैदराबाद के एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेफ्रालॉजी एंड यूरोलॉजी में रहे. उनका किडनी प्रत्यारोपण सफल हो गया.
एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेफ्रालॉजी एंड यूरोलॉजी के कंसलटेंट नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. सुजीथ रेड्डी के साथ अब्दुल जमीर हकीम, शाहीन हकीम किडनी दाता शकील शेख और उनकी पत्नी समीना शेख.

ये मेरा नया जीवन है…

हैदराबाद से नागपुर लौटने पर “आत्मनिर्भर डॉट कॉम” से बात करते हुए उन्होंने बताया कि अब वे बेहतर अनुभव कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि किडनी प्रत्यारोपण के कुछ महीने तक बाहर न निकलने की सलाह डॉक्टर की रहती है, ताकि किडनी को किसी तरह का संक्रमण न हो, इसलिए वे कुछ महीने के लिए नागपुर में ही निवासरत रहेंगे और चिकित्सकों के निरीक्षण में स्वास्थ्य लाभ लेते रहेंगे. उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी के भाई, एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ नेफ्रालॉजी एंड यूरोलॉजी हैदराबाद के सभी चिकित्सकों ने सही मायनों में उन्हें नया जीवन दिया है.