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आत्मनिर्भर | दुर्लभ रावत ने नौकरी छोड़कर शुरू की डेयरी फार्मिंग

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ये कहानी है उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर के रहने वाले दुर्लभ रावत की। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने के बाद दुर्लभ की एक कंपनी में जॉब लग गई। पैकेज भी अच्छा था। करीब 12 साल तक उन्होंने इस सेक्टर में काम किया। इसके बाद आत्मनिर्भर होने का प्लान किया।

वजह यह थी कि वह ऐसा काम करना चाहते थे, जिसमें खुद फैसले ले सकें। 2016 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और डेयरी फार्म शुरू किया। अभी वह दूध, दही, घी से लेकर हर उस प्रोडक्ट की मार्केटिंग करते हैं, जिनकी जरूरत एक किचन में होती है। उनके 7 हजार से ज्यादा कस्टमर्स हैं। पिछले साल उनका टर्नओवर 2.5 करोड़ रुपए रहा।

36 साल के दुर्लभ बताते हैं कि जब नौकरी छोड़कर गांव लौटा तो तय नहीं था कि क्या काम करना है? इतना जरूर पता था कि जो भी करूंगा वह खेती से ही जुड़ा होगा। मेरे एरिया में कई लोग दूध का बिजनेस करते थे। इसमें बहुत कम लोग ही क्वालिटी को लेकर फोकस करते थे। मुझे लगा कि यह बिजनेस शुरू करना ठीक रहेगा। इसमें एक फायदा यह भी है कि हमें तुरंत पैसे मिल जाते हैं।

चार साल पहले दुर्लभ ने 50 पशुओं के साथ दूध का काम शुरू किया। वे पास की डेयरी में दूध सप्लाई करते थे। 6 महीने तक उन्होंने ऐसा किया। इसमें उन्हें ज्यादा कुछ हासिल नहीं हुआ। फिर उनके एक रिलेटिव ने सुझाव दिया कि वो खुद का कोई ब्रांड तैयार करें।

इसके बाद 2016 में उन्होंने बारोसी नाम से एक स्टार्टअप लॉन्च किया। वह बॉटल में दूध पैक करके घरों में सप्लाई करने लगे। उनका ये आइडिया काम कर गया और जल्द ही बड़ी संख्या में उनके कस्टमर्स तैयार हो गए।

दुर्लभ कहते हैं कि एक बार क्रिसमस पर मैंने ग्राहकों के घर शुद्ध देसी गुड़ भेजा। वह उन्हें बेहद पसंद आया। कई लोगों ने सुझाव दिया कि वो इस तरह के दूसरे प्रोडक्ट भी लॉन्च करें। इसके बाद उन्होंने गांव के ही एक किसान से गुड़ के लिए टाई अप कर लिया। इसके बाद घी और शहद भी बेचने लगे।

धीरे-धीरे उनका काम और किसानों का नेटवर्क भी बढ़ता गया। अभी 15 किसानों का उनका नेटवर्क है। उनसे वे प्रोडक्ट खरीदते हैं और अपने ग्राहकों तक पहुंचाते हैं। इससे उन किसानों की भी अच्छी कमाई हो जाती है। दुर्लभ की टीम में 55 लोग काम करते हैं। इनमें 35 लोग सिर्फ डिलीवरी का काम करते हैं। उन्होंने एक एजेंसी भी हायर की है, जो उन्हें टेक्निकल सपोर्ट करती है।