Home हिंदी श्रीनगर-लेह हाईवे पर बर्फ की 14 किमी लंबी सुरंग बनाने में जुटे...

श्रीनगर-लेह हाईवे पर बर्फ की 14 किमी लंबी सुरंग बनाने में जुटे 3 ईडियट्स के ‘फुनसुक वांगडू’

नई दिल्‍ली ब्यूरो : कई आविष्‍कार करके दुर्गम पहाड़ों पर लोगों की जिंदगी आसान बनाने वाले सोनम वांगचुक पर फिल्‍म 3 ईडियट्स में ‘फुनसुक वांगडू’ का किरदार आधारित था. वह लगातार लोगों के लिए नए-नए आविष्‍कारों पर काम करते हैं. इन दिनों भी वह अपने महत्‍वाकांक्षी प्रोजेक्‍ट के काम में जुटे हुए हैं. दरअसल जम्‍मू कश्‍मीर को लद्दाख से जोड़ने वाले श्रीनगर-लेह हाईवे पर सोनम वांगचुक जोजिला में बर्फ की सुरंग बनाना चाह रहे हैं. ताकि साल के हर महीने इस रूट पर वाहनों का आवागमन जारी रहे.

सोनम वांगचुक ने इसका एक वीडियो भी अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया है. इसमें देखा जा सकता है कि कैसे वह विभिन्‍न मॉडल्‍स पर काम कर रहे हैं. सोनम वांगचुक का मानना है कि जोजिला सुरंग बनने के बाद श्रीनगर और लेह के बीच आवागमन काफी आसान हो जाएगा. यह सुरंग करीब 14.15 किमी लंबी होगी. हालांकि इसके बनने के बाद बर्फ को लेकर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. अगर जोजिला के पास से इस सुरंग के रास्‍ते पूरे साल यातायात जारी रह सकता है तो इससे हिमस्‍खलन का खतरा भी बना रहेगा.

उनका मानना है कि इसके लिए सरकार को इस इलाके में बड़े पैमाने पर लोग और मशीनें तैनात करने पड़ेंगे. सोनम वांगचुक ने इस प्रोजेक्‍ट को लेकर नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अफसरों से भी बात की है. सोनम वांगचुक ने कहा है कि अगर हाईवे के ऊपर किसी तरह से चार इंच मोटी बर्फ को जमाने में सफलता मिल जाए तो बर्फ की सतह अपने आप मोटी होती जाएगी.

बता दें कि हाल ही में सोनम वांगचुक ने सौर ऊर्जा से गर्म रहने वाला पर्यावरण अनुकूल तम्बू (टेंट) विकसित किये हैं जिसका इस्तेमाल सेना के जवान लद्दाख के सियाचिन एवं गलवान घाटी जैसे अति ठंडे इलाके में कर सकते हैं. वांगचुक ने कई पर्यावरण अनुकूल अविष्कार किए हैं. उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा से गर्म रहने वाले सैन्य टेंट (तम्बू) जीवाश्म ईंधन बचाएंगे जिसका पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ता है और साथ ही सैनिकों की सुरक्षा भी बढ़ाएंगे.

वांगुचुक ने बताया है कि ये टेंट दिन में सौर ऊर्जा को जमा कर लेते हैं और रात को सैनिकों के लिए सोने के गर्म चेम्बर की तरह काम करते हैं. चूंकि इसमें जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल नहीं होता है, इसलिए इससे पैसे बचने के साथ-साथ उत्सर्जन भी नहीं होता है.