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Income Tax Return | इसी माह फाइल कर दें इनकम टैक्स रिटर्न, नहीं तो अगले महीने से देना होगा दोगुना टीडीएस

नई दिल्ली ब्यूरो : सरकार ने इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल नहीं करने वालों के लिए नियम सख्त किया है। इसके तहत अब आईटीआर फाइल नहीं करने पर दोगुना टीडीएस देना होगा। नए नियमों के मुताबिक, जिन लोगों ने आईटीआर फाइल नहीं किया है, उन पर टैक्स कलेक्शन ऐट सोर्स (टीसीएस) भी ज्यादा लगेगा। नए नियमों के मुताबिक 1 जुलाई 2021 से पीनल टीडीएस  और टीसीएस दरें 10-20% होंगी जो कि आमतौर पर 5-10% होती हैं।

इस हिसाब से देना होगा टीडीएस

नए टीडीएस नियमों के मुताबिक इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 206AB के तहत आयकर कानून के मौजूदा प्रावधानों के दोगुना या प्रचलित दर के दोगुने में या फिर 5% में से जो भी ज्यादा होगा उस हिसाब से टीडीएस लग सकता है। टीसीएस के लिए भी मौजूदा प्रावधानों के मुताबिक प्रचलित दर या 5% में से जो भी ज्यादा होगा उसके हिसाब से यह देय होगा।

इन पर लागू नहीं होगा यह नियम

आयकर कानून का यह (सेक्शन 206AB) नियम सैलरी, कर्मचारियों के बकाये के भुगतान, क्रॉस वर्ड और लॉटरी में जीती गई रकम, हॉर्स रेस पर जीती गई रकम, सिक्योरिटाइजेशन ट्रस्ट में निवेश से हासिल आय और कैश विड्रॉल पर लागू नहीं होगा। सेक्शन 206AB के तहत भारत में स्थायी प्रतिष्ठान न रखने वाले नॉन रेजिडेंट टैक्सपेयर पर भी यह लागू नहीं होगा।

अगर दोनों सेक्शन 206AA (पैन न रहने की स्थिति में ज्यादा टीडीएस रेट) और 206AB लागू होता है तो टीडीएस रेट ऊपर बताई दरों से ज्यादा होगी। वहीं सेक्शन 206CC और 206CCA के तहत ज्यादा टीसीएस लागू होगा।

अब 30 सितंबर तक भर सकेंगे ITR

वित्त वर्ष 2020-21 के इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई से बढ़ाकर 30 सितंबर कर दी गई है। कोरोना संक्रमण के चलते सरकार ने टैक्स फाइल करने से संबंधित तारीखों को बढ़ाने का फैसला लिया है।

क्या है टीडीएस ?

अगर किसी की कोई आय होती है तो उस आय से टैक्स काटकर अगर व्यक्ति को बाकी रकम दी जाए तो टैक्स के रूप में काटी गई रकम को टीडीएस कहते हैं। सरकार टीडीएस के जरिए टैक्स जुटाती है। यह अलग-अलग तरह के आय स्रोतों पर काटा जाता है जैसे सैलरी, किसी निवेश पर मिले ब्याज या कमीशन आदि पर। कोई भी संस्थान (जो टीडीएस के दायरे में आता है) जो भुगतान कर रहा है, वह एक निश्चित रकम टीडीएस के रूप में काटता है।

क्या है टीसीएस?

टीसीएस टैक्स कलेक्टेड ऐट सोर्स होता है। इसका मतलब स्रोत पर एकत्रित टैक्स (इनकम से इकट्ठा किया गया टैक्स) होता है। टीसीएस का भुगतान सेलर, डीलर, वेंडर, दुकानदार की तरफ से किया जाता है। हालांकि, वह कोई भी सामान बेचते हुए खरीदार या ग्राहक से वो वसूलता है। वसूलने के बाद इसे जमा करने का काम सेलर या दुकानदार का ही होता है।

इनकम टैक्स एक्ट की धारा 206C में इसे कंट्रोल किया जाता है। कुछ खास तरह की वस्‍तुओं के विक्रेता ही इसे कलेक्‍ट करते हैं। इन वस्‍तुओं में टिंबर वुड, स्‍क्रैप, मिनरल, तेंदु पत्‍ते शामिल हैं। इस तरह का टैक्‍स तभी काटा जाता है जब पेमेंट एक सीमा से ज्‍यादा होता है।