टोक्यो ओलिंपिक की बॉक्सिंग रिंग में भारत की महिला मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन अपने मेडल के रंग बदलने में नाकाम रहीं. सेमीफाइनल मुकाबले में उन्हें वर्ल्ड चैंपियन तुर्की की मुक्केबाज बुसानाज ने हराया. इस हार के साथ ही उन्हें ब्रॉन्ज मेडल के साथ संतोष करना पड़ेगा. ओलिंपिक के इतिहास में भारत को मेडल दिलाने वाली लवलीना ओवरऑल तीसरी जबकि दूसरी महिला बॉक्सर हैं. उनसे पहले 2008 के बीजिंग ओलिंपिक में विजेंदर सिंह ने ब्रॉन्ज जीता था. उसके बाद 2012 लंदन ओलिंपिक ने मैरीकॉम ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था. लवलीना के लिए कमाल की बात ये रही कि उन्होंने अपना पहला ओलिंपिक खेलते हुए ही मेडल पर पंच जड़ दिया.
तुर्की की मुक्केबाज शुरुआत से ही मुकाबले में हावी दिखी. लवलीना ने अपना गार्ड खुला रखा, जिसका पूरा फायदा वर्ल्ड चैंपियन बॉक्सर ने सेमीफाइनल मुकाबले में उठाया. बुसानाज के पंच लवलीना के खिलाफ सीधे टारगेट पर जाकर लगे, जिसके पॉइंट उन्हें मिले. कहीं ज्यादा अनुभवी और तेजतर्रार तुर्की के मुक्केबाज के मुक्कों का भारतीय बॉक्सर के पास कोई जवाब नहीं था. अपने वेट कैटेगरी में टॉप सीड रहीं बुसानाज ने तीनों ही राउंड जजों की सर्वसम्मति से जीते.
वर्ल्ड चैंपियनशिप में 2 बार की ब्रॉन्ज मेडलिस्ट रहीं लवलीना के पास टोक्यो की रिंग में अपने मेडल के रंग को बदलकर विजेंदर और मैरीकॉम से आगे निकलने का पूरा मौका था. लेकिन, वो उन दोनों की कामयाबी को पीछे नहीं छोड़ सकती. भारत को ओलिंपिक की बॉक्सिंग रिंग में एक बार फिर से ब्रॉन्ज मेडल पर ही संतोष करना पड़ा. लवलीना ने पिछले शुक्रवार को चीनी ताइपे की बॉक्सर को 4-1 से हराकर ब्रॉन्ज मेडल पक्का किया था.