बारिश का मौसम शुरू होने से पहले या बारिश के मौसम में एक खबर अखबारों में देखने को मिलती है. वो है मेंढक और मेंढकी की शादी. आपने भी देखा होगा कि खबरें आती हैं कि किसी गांव में किसानों ने मेंढ़क की शादी करवाई है. खास बात ये है कि सिर्फ उत्तर भारत में ही नहीं बल्कि त्रिपुरा तक इस शादी का चलन है. त्रिपुरा में भी मेंढक की शादी करवाई जाती है और शादी भी बड़ी धूमधाम से करवाई जाती है. ऐसे में जानते हैं कि मेंढक की किस तरह से शादी करवाई जाती है और इस शादी करवाने का कारण क्या है. इतना ही नहीं, इस शादी के साथ एक तलाक की भी रस्म होती है और शादी के बाद तलाक भी करवाया जाता है. “आत्मनिर्भर खबर डॉट कॉम” पर आज जानते हैं इस मेंढक की शादी की पूरी कहानी, जो काफी दिलचस्प है…
कैसे होती है शादी?
वैसे इस शादी में और इंसानों की शादी में ज्यादा अंतर नहीं होता है. दूल्हे-दुल्हन की ड्रेस में मेंढक के जोड़े दिखाई देते हैं और उनकी माला पहनाकर शादी की जाती है. फैंसी कपड़ों में बैठे मेंढक और मेंढकी की मंत्रों के साथ शादी करवाई जाती है. शादी में म्यूजिक होता है, शादी में सजावट होती है, शादी में नाच गाना होता है, यहां तक कि मेहमानों को खाना भी खिलाया जाता है, इसके बाद पूरे रिवाजों के साथ उनकी शादी करवाई जाती है. मेल मेंढक सिंदूर तक भी भरता है.
त्रिपुरा में इस खास शादी को banger biye कहा जाता है. शादी के बाद दोनों को नदी, तालाब आदि में छोड़ दिया जाता है. इसके बाद इस शादी को पूरा माना जाता है. ऐसे ही उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी शादियां करवाई जाती है. बारिश के लिए मेंढक-मेंढकी की शादी पारंपरिक रूप से असम में होती थी, लेकिन अब देश के कई हिस्सों जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु में इस परंपरा चलन बढ़ता जा रहा है.
क्यों करवाई जाती है ये शादी?
माना जाता है कि मेंढक-मेंढकी की इस शादी का मौसम कनेक्शन है. मानसून के दौरान मेंढक बाहर निकलता है और टर्राकर मेंढकी को आकर्षित करता है. मेंढक-मेंढकी की शादी एक प्रतीक के तौर पर कराई जाती है जिससे वो दोनों मिलन के लिए तैयार हो जाएं और बारिश आ जाए. कुल मिलाकर लोगों इंद्रदेव को खुश करने के लिए ये शादी करवाई जाती है. देश के अलग अलग हिस्सों में होने वाली इस शादी लक्ष्य सिर्फ बारिश ही होता है.
तलाक भी करवाया जाता है
इतना ही नहीं, शादी के साथ तलाक का भी खास महत्व है. जैसे मेंढक की शादी करवाने के बाद तेज बारिश आ जाती है और बारिश एक सीमा से ज्यादा हो जाती है तो तलाक करवाया जाता है. जैसे किसी जगह बाढ़ आदि की नौबत आ जाती है तो फिर से मेंढक और मेंढकी का तलाक भी करवाया जाता है. इसके बाद बारिश होना बंद हो जाती है. यानी बारिश करवाने के लिए मेंढक की शादी करवाई जाती है और मेंढक की शादी के बाद बारिश ज्यादा आ जाए तो इनका तलाक करवाया जाता है.