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Investment | म्यूचुअल फंड लेने से पहले कितना टैक्स चुकाना पड़ता है?, निवेश के रिटर्न का ऐसे कीजिए हिसाब

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आत्मनिर्भर खबर डॉट कॉम/ बिजनेस डेस्क : म्यूचुअल फंड लेने से पहले यह देख लेना जरूरी है कि उसका अतिरिक्त खर्च क्या है. यहां अतिरिक्त खर्च का अर्थ है म्यूचुअल फंड में लगाए जाने वाले पैसे से अलग लगने वाली रकम. यह रकम म्यूचुअल फंड से जुड़ी होती है लेकिन रिटर्न या निवेश बढ़ाने में इसका कोई रोल नहीं. इसलिए बाद में ऐसा न लगे कि फंड लेने से पहले ही ज्यादा खर्च हो गया. अतिरिक्त खर्च में स्टांप ड्यूटी, एक्सपेंस रेश्यो, एक्जिट लोड और सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन शामिल हैं.

लगती है स्टांप ड्यूटी

म्यूचुअल फंड ट्रांजेक्शन में यह सबसे ताजा खर्च जुड़ा है. इसे 1 जुलाई 2020 को शामिल किया गया है. स्टांप ड्यूटी म्यूचुअल फंड इश्यू करने या फंड को ट्रांसफर करने पर लिया जाता है. म्यूचुअल फंड के यूनिट डीमैट या फिजिकल मोड में लिए जाएं, उस पर स्टांप ड्यूटी जमा करनी होती है. स्टांप ड्यूटी डायरेक्ट टैक्स के अंतर्गत आती है जिसे सरकार लगाती है. टैक्स की रेट हर प्रांत में समान रखी गई है ताकि कोई राज्य दूसरे राज्य से अधिक या कम टैक्स न वसूले.

म्यूचुअल फंड की सिक्योरिटी जारी करते वक्त निवेशक को अलग से 0.005 परसेंट के हिसाब से पैसा देना होगा. अगर सिक्योरिटी ट्रांसफर करते हैं तो 0.015 परसेंट चार्ज देना होगा. नया फंड खरीदते हैं तो जितने का निवेश होगा उसका 0.005 परसेंट स्टांप ड्यूटी के रूप में चुकाना होगा. अगर एक डीमैट खाते से दूसरे में फंड को ट्रांसफर करते हैं तो अलग से 0.015 परसेंट रकम चुकानी होगी. नेट इनवेस्टमेंट अमाउंट में से स्टांप ड्यूटी को काट लिया जाएगा. मान लें कि आपने 1 लाख रुपये का म्युचूअल फंड लिया तो 5 रुपये की स्टांप ड्यूटी लगेगी. बाकी बचे 95 रुपये का ही फंड अलॉट किया जाएगा.

एक्सपेंस रेश्यो भी कटेगा

एसेट मैनेजमेंट कंपनी या AMC फंड को मैनेज करने और उसे वितरित करने के लिए सालाना खर्च काटती है. किसी म्यूचुअल फंड का एक्सपेंस रेश्यो निकालने के लिए म्यूचुअल फंड स्कीम पर हुए कुल खर्च से फंड हाउस की कुल संपत्ति को भाग दिया जाता है. इसकी जो संख्या मिलती है वही प्रतिशत में एक्सपेंस रेश्यो है. यहां ध्यान रखना चाहिए कि एक्सपेंस रेश्यो फंड एएमसी से जुड़ा होता है. जब किसी फंड की संपत्ति की वैल्यू गिरती है तो खर्च का रेश्यो अधिक होता है. लेकिन अगर फंड की संपत्ति की मूल्य अधिक होगी तो एक्सपेंस रेश्यो कम होगा.

एक्जिट लोड भी कटती है

एक्जिट लोड का अर्थ है कि कोई निवेशक एक फंड को छोड़कर दूसरे में ट्रांसफर करे तो एक निश्चित राशि ली जाती है. यही राशि एक्जिट लोड कहलाती है. यह राशि फंड हाउस की तरफ से ली जाती है. इसे पेनाल्टी भी कह सकते हैं जब कोई फंड हाउस समय से पूर्व फंड छोड़ने पर लेता है. लॉक इन पीरियड से पहले फंड छोड़ने पर यह पैसा लिया जाता है. हालांकि कोई जरूरी नहीं कि सभी फंड हाउस एक्जिट लोड लें. इसलिए फंड लेने से पहले चेक कर लें कि एक्जिट लोड का नियम है या नहीं. इससे आप अतिरिक्त खर्च से बच जाएंगे.

इसे एक उदाहरण से समझें. मान लें कि आप किसी फंड की 500 यूनिट बेच रहे हैं जिसे आपने 4 महीने पहले खरीदा था. चूंकि 1 साल पूरा होने से पहले फंड बेच रहे हैं, इसलिए 1 परसेंट एक्जिट लोड लगेगा. यदि आपके यूनिट का एनएवी 100 रुपये है तो 1 परसेंट के हिसाब से 99 रुपये का एनएवी मिलेगा. यहां 1 रुपया एक्जिट लोड के रूप में काट लिया गया. अब आपको 500 यूनिट के लिए 99 रुपये के हिसाब से 49500 रुपये मिलेंगे.