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क्या आपको पता हैं | महाराष्ट्र से ही मध्यप्रदेश पहुंचा था पोहा, 1949 में खोली थी पहली दुकान, अब इसी को कहते हैं इंदौरी पोहा

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महाराष्ट्र के पुरुषोत्तम जोशी ये वही नाम हैं जिनकी 1948-49 में छोटी सी शुरुआत ने इंदौरी पोहे को आज देश-दुनिया तक मशहूर कर दिया। असल में पोहा पहले महाराष्ट्रियन-मारवाड़ी परिवारों के किचन तक सीमित था। रोजगार की तलाश में महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के निजामपुर से पुरुषोत्तम जोशी इंदौर आए। उनकी यहां बुआ रहा करती थीं। पहले गोदरेज कम्पनी में सेल्समैन का काम करने लगे, लेकिन उन्हें कुछ अपना ही करने की चाहत थी। लिहाजा, इन्होंने ही सबसे पहले इंदौरियों को पोहे की दुकान के जरिए जायका चखाया। तिलकपथ पर उपहार गृह नाम से दुकान खोली। इससे पहले इंदौर में पोहा बेचने वाली कोई दुकान नहीं थी। दुकानों की संख्या अब 2600 के पार हो गई हैं।

दिन भर में 170 क्विंटल से ज्यादा की खपत

इंदौर में सुबह की शुरुआत पोहे से होती है। इंदौर में अमूमन 80% लोग दिन की शुरुआत पोहा के नाश्ते से करते हैं। इंदौर में रोजाना पोहे की 170 क्विंटल से ज्यादा की बिक्री होती है। सुबह 5 बजे से ही चौराहों पर ठेले लगा दिए जाते हैं। कोरोना काल से पहले पोहा 24 घंटे मिलता था। पोहे में मुनाफा देख राजस्थान के कारीगर भी यहां ठेले लगाते हैं, जो दिन में 50 किलो तक पोहा बेच देते हैं।

1950 में नेहरू को पोहा परोसा गया

पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर अमिताभ बच्चन तक इंदौरी पोहे की तारीफ कर चुके हैं। 1950 में कांग्रेस के अधिवेशन में नेहरू इंदौर आए थे तब उन्हें पोहा परोसा गया था। कौन बनेगा करोड़पति (KBC) में भी इंदौरी पोहे पर सवाल आ चुका है।

क्रिकेटर्स भी हैं दीवाने

2019 की बात साल है, इंदौर के होल्कर स्टेडियम में बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट सीरीज के दौरान गौतम गंभीर, वीवीएस लक्ष्मण और कमेंट्रेटर जतिन सप्रू की फोटो पोहा-जलेबी खाते हुए खूब वायरल हुई थी। द वॉल के नाम से मशहूर महाराष्ट्र के क्रिकेटर राहुल द्रविड़ तो इंदौरी पोहा खाने के शौकीन हैं।