प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 81वें एपिसोड को संबोधित किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने इस कार्यक्रम में लोगों से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार साझा करते हैं. मन की बात कार्यक्रम के 81वें एपिसोड के लिए जनता से सुझाव भी प्रधानमंत्री मोदी ने मांगे थे. प्रधानमंत्री का ये रेडियो कार्यक्रम उनकी अमेरिका यात्रा से पहले ही रिकॉर्ड किया गया था.
‘मन की बात’ की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि आज की तारीख को एक महत्वपूर्ण दिन होता है जिसे हम सबको याद रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि सदियों से जिस परंपराओं से हम जुड़े हैं उससे जोड़ने वाला ये दिन है ‘वर्ल्ड रिवर डे’ यानी ‘विश्व नदी दिवस’. संस्कृत में एक श्लोक सुनाते हुए पीएम मोदी ने कहा, “हमारे यहां कहा गया है – “पिबन्ति नद्यः, स्वय-मेव नाम्भः अर्थात् नदियाँ अपना जल खुद नहीं पीती, बल्कि परोपकार के लिये देती हैं.”. जिसका मतलब है “हमारे लिये नदियां एक भौतिक वस्तु नहीं है, हमारे लिए नदी एक जीवंत इकाई है, तभी तो हम नदियों को मां कहते हैं.”
नदियों के प्रति मन में आस्था
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा “नदियों का स्मरण करने की परंपरा आज भले लुप्त हो गई हो या कहीं बहुत अल्पमात्रा में बची हो लेकिन ये एक बहुत बड़ी परंपरा थी. सुबह स्नान करते समय ही विशाल भारत की एक यात्रा करा देती थी. देश के कोने-कोने से जुड़ने की प्रेरणा बन जाती थी.” प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में स्नान करते समय एक श्लोक बोलने की परंपरा रही है- गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति , नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिं कुरु. पहले हमारे घरों में परिवार के बड़े ये श्लोक बच्चों को याद करवाते थे और इससे हमारे देश में नदियों को लेकर आस्था भी पैदा होती थी. विशाल भारत का एक मानचित्र मन में अंकित हो जाता था. नदियों के प्रति जुड़ाव बनता था.” पीएम मोदी बोले, “जिस नदी को मां के रूप में हम जानते हैं, देखते हैं, जीते हैं उस नदी के प्रति एक आस्था का भाव पैदा होता था. एक संस्कार प्रक्रिया थी.”
नमामि गंगे की सफलता में जन-जन का योगदान
नदियों की महिमा का बखान करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “जब हम हमारे देश में नदियों की महिमा पर बात कर रहे हैं, तो स्वाभाविक रूप से हर कोई एक प्रश्न उठाएगा और प्रश्न उठाने का हक भी है और इसका जवाब देना ये हमारी जिम्मेदारी भी है.” उन्होंने कहा कि पानी की सफाई और नदियों को प्रदूषण मुक्त करने का काम सबके प्रयास से संभव. नमामि गंगे की सफलता में जन-जन का योगदान है. प्रधानमंत्री ने कहा कि आज इतने दशकों बाद, स्वच्छता आन्दोलन ने एक बार फिर देश को नए भारत के सपने के साथ जोड़ने का काम किया है. ये हमारी आदतों को बदलने का भी अभियान बन रहा है.
आजादी के अमृत महोत्सव की याद दिलाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “आज आजादी के 75वें साल में हम जब आजादी के अमृत महोत्सव को मना रहे हैं. आज हम संतोष से कह सकते हैं कि आज़ादी के आंदोलन में जो गौरव खादी को था आज हमारी युवा पीढ़ी खादी को वो गौरव दे रही है. आज खादी और हैंडलूम का उत्पादन कई गुना बढ़ा है और उसकी मांग भी बढ़ी है.
पंडित दीनदयाल उपाध्याय को भी किया याद
पंडित दीनदयाल उपाध्याय को उनकी जयंती पर याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “25 सितम्बर को देश की महान संतान पं. दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्म-जयंती होती है. दीनदयाल जी पिछली सदी के सबसे बड़े विचारकों में से एक हैं. उनका अर्थ-दर्शन, समाज को सशक्त करने के लिए उनकी नीतियां, उनका दिखाया अंत्योदय का मार्ग, आज भी जितना प्रासंगिक है, उतना ही प्रेरणादायी भी है.” पीएम मोदी ने बताया कि तीन साल पहले 25 सितम्बर को उनकी जन्म-जयंती पर ही दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम आयुष्मान भारत योजना लागू की गई थी. आज देश के दो-सवा-दो करोड़ से अधिक गरीबों को आयुष्मान भारत योजना के तहत अस्पताल में 5 लाख रु तक का मुफ्त इलाज मिल चुका है.
युवाओं से की देश का कर्ज चुकाने की अपील
प्रधानमंत्री ने देश के युवाओं को देश का कर्ज चुकाने के बारे में सोचने को कहा. पीएम मोदी ने कहा, “दीनदयाल जी ने सीख दी कि हम समाज से, देश से इतना कुछ लेते हैं, जो कुछ भी है, वो देश की वजह से ही तो है. इसलिए देश के प्रति अपना ऋण कैसे चुकाएंगे, इस बारे में सोचना चाहिए. ये आज के युवाओं के लिए बहुत बड़ा संदेश है.”उन्होंने कहा, “आज बहुत सारे युवा बने-बनाए रास्तों से अलग होकर आगे बढ़ना चाहते हैं.वे चीजों को अपनी तरह से करना चाहते हैं. दीनदयाल जी के जीवन से उन्हें काफी मदद मिल सकती है. इसलिए युवाओं से मेरा अनुरोध है कि वे उनके बारे में जरूर जानें.” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षाविद, प्रसिद्ध दार्शनिक, समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी ईश्वर चंद्र विद्यासागर को भी उनकी जयंती पर याद किया.