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Good News | महाराष्ट्र के किस चावल को मिला जीआई टैग?, आखिर कहां उत्पादित होता है ये चावल?

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नई दिल्ली ब्यूरो : महाराष्ट्र के अलग अलग इलाको में चावल की बड़े पैमाने पर पैदावार की जाती है. इस राज्य का विदर्भ इलाका, खासकर पूर्व विदर्भ केवल अपने चावल की पैदावार के लिए ही जाना जाता है. पूर्व विदर्भ में चावल की कई किस्में बेहद प्रसिद्ध है. उल्लेखनीय है की इसी क्षेत्र ने चावल की श्रीराम और एचएमटी जैसी किस्में दी है. लेकिन इस बार जी चावल की किस्म को जीआई टैग मिला है वः इस क्षेत्र से नहीं है.

राज्य के पालघर जिले के वाडा में व्यापक रूप से उत्पादित किए जाने वाले चावल की एक खास किस्म वाडा कोलम (Wada kolam) को जीआई टैग दे दिया गया है. जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग (GI Tag) पाने के बाद इस चावल को व्यापक रूप से एक खास पहचान मिल पाएगी और अब इस चावल को बड़े बाजार में भी उपलब्ध कराया जा सकेगा. प्रदेश के एक वरिष्ठ कृषि अधिकारी ने इस बात की जानकारी दी है.

संभागीय कृषि संयुक्त निदेशक अंकुश माने ने बताया कि हाल में इस संबंध में मुंबई में एक बैठक आयोजित हुई थी. इसी बैठक में वाडा कोलम चावल को जीआई टैग देने का फैसला लिया गया.

जिनी या झिनी चावल के नाम से पहचान

वाडा कोलम चावल को सामान्य तौर पर जिनी या झिनी चावल के नाम से महाराष्ट्र में जाना जाता है. यह पालघर के वाडा तहसील में मुख्य तौर पर उगाया जाता है. इस चावल का दाना सफेद रंग का होता है. अधिकारियों की मानें तो इस चावल की बाजार में कीमत 60-70 रुपये प्रति किलोग्राम है. चावल की इस खास प्रजाति की विदेशों में भी बड़ी मांग है. तीसरी पीढ़ी के वाडा कोलम किसान अनील पाटिल कहते हैं वाडा तहसील के 180 गांव के करीब 2500 किसान इस चावल की खेती करते हैं.