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वायुसेना दिवस | हिंडन एयर-बेस पर होगा खास एयर-डिसप्ले, रफाल, सुखोई जैसे लड़ाकू विमान लेंगे हिस्सा

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आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर इस साल वायुसेना दिवस यानि 8 अक्टूबर को हिंडन एयर-बेस पर एक बेहतरीन एयर-डिसप्ले होने जा रहा है. वायुसेना इस साल अपना 89वां स्थापना दिवस मनाने जा रही है. इस बार एयर डिसप्ले में रफाल, सुखोई, मिग-29, जगुआर, मिराज और मिग-21 बाइसन सहित कुल 75 एयरक्राफ्ट हिस्सा लेंगे. 1971 युद्ध के स्वर्णिम विजय-वर्ष की झलक भी इस बार एयर-डिसप्ले में देखने को मिलेगी. वायुसेना दिवस से पहले बुधवार यानि 6 अक्टूबर को वायुसेना हिंडन एयर बेस पर फुल ड्रेस रिहर्सल भी करेगी.

वायुसेना ने दी जानकारी के मुताबिक, इस साल राजधानी दिल्ली के करीब हिंडन एयर बेस पर फाइटर एयरक्राफ्ट्स की विजय, शमशेर, बहादुर, विनाश और तिरंगा फोर्मेशन खास आकर्षण होंगी. इन अलग-अलग फोर्मेशन्स में 5 मिग-21 बाइसन एयरक्राफ्ट, 5 जगुआर, 5 मिग-29, 4 सुखोई, 2 एलसीए तेजस और 2 रफाल शामिल होंगे. लेकिन सबसे खास होगा एरो-हेड फोर्मशन जिसमें एक-एक एलसीए तेजस, रफाल, मिराज 2000, जगुआर और मिग-29 एक साथ उड़ान भरते दिखाई पडे़ंगे. इसके अलावा एक कोर्डिनेटेड डिसप्ले में एलसीए तेजस, रफाल और सुखोई हिंडन एयर बेस के आसमान में उड़ान भरते दिखेंगे.


एयर डिसप्ले में 01 एएन-32, 01 सा-17 ग्लोबमास्टर और 03 सी-130 जे सुपर हरक्युलिस मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट्स शामिल होंगे. हेलीकॉप्टर्स में मी-17वी5, एएलए-मार्क-4, चिनूक, अपाचे और मी-35 दिखाई पडेंगे. इसके अलावा विंटेज एयरक्राफ्ट भी एयर डिसप्ले का हिस्सा होंगे. जिसमें टाइगरमोथ, डकोटा और हार्वर्ड शामिल होंगे.

एयर डिसप्ले में वायुसेना की सूर्यकिरण एयरोबैटिक टीम भी हिस्सा लेगी. इस टीम में नौ (9) हॉक एयरक्राफ्ट एक साथ आसमान में कलाबाजियां करते दिखाई पड़ेंगे. इसके अलावा वायुसेना की आकाशगंगा टीम भी आसमान में एक विमान से पैरा-ड्रॉप के जरिए हिंडन एयरबेस पर उतरेगी.

8 अक्टूबर को क्यों मनाया जाता है भारतीय वायुसेना दिवस

8 अक्टूबर 1932 को वायुसेना की स्थापना की गई थी इसीलिए हर साल 8 अक्टूबर वायुसेना दिवस मनाया जाता है। देश के स्वतंत्र होने से पहले वायुसेना को रॉयल इंडियन एयर फोर्स (आरआईएएफ) कहा जाता था। 1 अप्रैल 1933 को वायुसेना का पहला दस्ता बना जिसमें 6 आएएफ-ट्रेंड ऑफिसर और 19 हवाई सिपाहियों को शामिल किया गया था। आजादी के बाद वायुसेना के नाम में से “रॉयल” शब्द को हटाकर सिर्फ “इंडियन एयरफोर्स” कर दिया गया था। भारतीय वायुसेना ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भी अहम भूमिका निभाई थी।

आजादी से पहले वायु सेना आर्मी के तहत ही काम करती थी। एयर फोर्स को आर्मी से ‘आजाद’ करने का श्रेय भारतीय वायु सेना के पहले कमांडर इन चीफ, एयर मार्शल सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट को जाता है। आजादी के बाद सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट को भारतीय वायु सेना का पहला चीफ, एयर मार्शल बनाया गया था। वह 15 अगस्त 1947 से 22 फरवरी 1950 तक इस पद पर बने रहे थे।

गीता से लिया गया है आदर्श वाक्य

भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य है- ‘नभ: स्पृशं दीप्तम’। यह गीता के 11वें अध्याय से लिया गया है। यह महाभारत के युद्ध के दौरान कुरूक्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश का एक अंश है।

वायुसेना ध्वज

वायुसेना ध्वज, वायु सेना निशान से अलग, नीले रंग का है जिसके शुरुआती एक चौथाई भाग में राष्ट्रीय ध्वज बना है और बीच के हिस्से में राष्ट्रीय ध्वज के तीनों रंगों अर्थात्‌ केसरिया, श्वेत और हरे रंग से बना एक वृत्त (गोलाकार आकृति) है। यह ध्वज 1951 में अपनाया गया।