डिसएबिलिटी राइट्स एक्टिविस्ट, मॉडल, इंफ्लुएंसर और मोटिवेशनल स्पीकर विराली मोदी का कहना है कि “इट इज ओके टू नॉट टू बी ओके।अगर आपको दर्द हो रहा है तो उसको फील करो, उसको बाहर निकालो। उसे छुपाओ मत।” लाइफ रोलर कोस्टर है, कभी एक सी नहीं होती।
विराली बताती हैं, नॉर्मल सी लड़की विराली की जिंदगी अब निराली बन गई है। मेरा जन्म मुंबई में और परवरिश अमेरिका में हुई। 14 साल तक बचपन बिल्कुल साधारण रहा। बाकी लड़कियों की तरह मुझे भी पढ़ने-लिखने, डांस और मॉडलिंग का शौक था। 2006 में मुंबई में परिवार के साथ रिश्तेदारों से मिलने के लिए आई। बंबई से जब वापस अमेरिका गई तो अचानक एक दिन 102-103 बुखार चढ़ गया।
डॉक्टर के पास गए, तो उन्होंने कहा, सीजन बदलने की वजह से बुखार आ रहा है। ‘क्रोसिन ले लो, सब ठीक हो जाएगा।’ क्रोसिन लेती तो बुखार उतर जाता, बाद में फिर आ जाता। एकदम से फिर तेज बुखार आ जाता। एक दिन तेज बुखार आ गया तो मम्मी-पापा मुझे इमरजेंसी में गए। वहां डॉक्टरों ने जांच की। मलेरिया की भी रिपोर्ट निकाली, सबकुछ नॉर्मल था। एमआरआई, ब्लड टेस्ट, यूरीन टेस्ट सब किया, यहां तक कि रीढ़ की हड्डी में इंजेक्शन डालकर पानी भी निकाला, लेकिन किसी भी रिपोर्ट में कुछ भी गलत नहीं मिला।
हम वापस घर आ गए। रात को सो गई। सुबह मम्मी ने उठाया तो आंखें लाल थीं। अपनी मां को नहीं पहचान रही थी। मुझे हलुसनेशन होने लगे थे। मैंने उनसे पूछा, ‘तुम कौन हो।’ वो हैरान रह गईं और मुझे वापस सुला दिया। कुछ देर बाद मैं फिर उठी, नानी मेरे पास थीं। नानी कैसे हो, नमस्ते। अब मैं एकदम नॉर्मल बातें कर रही थी। घरवाले घबरा गए और मुझे अस्पताल ले जाने लगे और मैं अस्पताल जाने के लिए खड़ी नहीं हो पाई, मैं लंगड़ाने लगी थी। जब तक अस्पताल पहुंची शरीर में कई दिक्कतें पैदा हो गईं थीं। अस्पताल बदला, दूसरे अस्पताल में एमआरआई से पता चला कि स्पाइन में कोई प्रॉब्लम है। लेकिन डॉक्टर श्योर नहीं थे, फिर स्पाइन से पानी निकाला गया। वॉमिटिंग के दौरान लंग्स में इंफेक्शन पहुंच गया। सांस रुक गई, हार्ट बीट बंद हो गई और 7 मिनट के लिए मरा हुआ घोषित कर दिया गया।
23 दिन तक कोमा में रही
डॉक्टर कोशिश कर रहे थे कि मेरी सांस वापस आए, लेकिन नहीं आ रही थी। आइसीयू में शिफ्ट किया गया। अगली सुबह फिर से रीढ़ की हड्डी में से पानी निकाला गया। उसके बाद मैं 23 दिन तक कोमा में रही। मुझे दो बार डेड डिक्लेअर किया गया और मैं फिर से जिंदा हो गई। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मेरे साथ क्या हो रहा है। 21 सिंतबर, 2006 को डॉक्टर ने मम्मी पापा से कहा आपकी बेटी नहीं बचेगी। हम उसके वेंटिलेटर का प्लग निकाल रहे हैं।’ 29 सितंबर को मेरा 15वां जन्मदिन था। पैरेंट्स ने तब तक मुझे अस्पताल में रखने की रिक्वेस्ट कीा। अस्पताल प्रशासन ने एक ही शर्त पर इजाजत दी कि अगर 29 सिंतबर तक मैं कोमा से बाहर नहीं आती तो वो मेरा प्लग खींच देंगे। ‘मतलब मुझे मार देंगे।’
29 सिंतबर को एक बड़ी सी पार्टी रखी गई। पूरा परिवार आया, जैसे ही मेरे पापा ने मेरा हाथ पकड़ा, वैसे ही मैंने आंखें खोल दीं। ताज्जबु की बात ये है कि मम्मी ने टाइम देखा तब 3:05 मिनट हो रहे थे, मेरा जन्म भी इसी समय पर हुआ था। ये सबकुछ सभी को किसी बॉलीवुड की कहानी लग रही थी। 30-40 मिनट के बाद मैं वापस कोमा में चली गई। डॉक्टर ने देखा तो उन्होंने कहा कि कोई दिक्कत वाली बात नहीं है। एक बार आंख खोल दी हैं, तो दूसरी बार भी खोलेगी। मुझे ऑपरेशन थियेटर ले जाया गया। ब्रिदिंग ट्यूब डाली, उसे ट्रेकियोस्टोमी (tracheostomy) कहते हैं।
दो बार की आत्महत्या करने की कोशिश
अनेस्थिसिया का असर उतर गया, मैंने आंखें खोल दीं। मैं सबको पहचान रही थी। पर बातें नहीं कर पा रही थी। डॉक्टर ने बोला कि जो लोग कोमा से निकलते हैं उनकी मेंटल हेल्थ ठीक नहीं रहती है। मैं मेंटली तो ठीक थी, लेकिन नेक डाउन पैरालिसिस हो गया था। गर्दन के नीचे का कोई भी हिस्सा चल नहीं रहा था। मुझे अस्पताल के बैड से उतारकर व्हील चेयर पर बैठाया तो स्थिति किसी न्यू बॉर्ने बेबी की तरह थी। मैं बहुत कोशिश कर रही थी कि मेरा हाथ चलने लगे। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। घर आ गई। रिश्तेदारों और दोस्तों से बात करने की कोशिश की पर सब बेगानों की तरह बातें करते। डिप्रेशन का शिकार होकर मैंने दो बार आत्महत्या करने की कोशिश की।
मम्मी की बातों ने दिया सहारा
मम्मी ने बोला, ‘तूने रो लिया। पर ये बता तेरे साथ जो हुआ क्या उसे तू बदल सकती थी। मैंने कहा, नहीं। तो मम्मी बोलीं कि जो बीत गया और जो आगे होगा वो तेरे बस में नहीं है। इस सबके चक्कर में अपने प्रेजेंट को मत खराब कर। तू सेल्फ लव सीख। सेल्फ लव ये क्या होता है, मैं ये जानती ही नहीं थी। मम्मी की बातों ने मुझे सहारा दिया और मैंने मोटिवेशनल किताबें पढ़ीं, मेडिटेशन किया, फिजियोथेरेपी करवाई हॉबिज को डिस्कवर किया। जिंदगी बहुत अच्छी नहीं चल रही थी, लेकिन मैं अब कहीं रुकी नहीं। 2014 में मिस व्हीलचेयर इंडिया में पार्टिसिपेट किया और सेकेंड पोजीशन हासिल किया।
अब तक मिले 30 अवॉर्ड
मेरे काम की सराहना करते हुए मुझे दिल्ली कमीशन ऑफ वुमन ने वुमन एचिवमेंट का अवॉर्ड दिया। बीबीसी ने 100 वुमन में शामिल किया। टेडएक्स स्पीकर बन गई। मुझे अब तक करीब 30 अवॉर्ड मिल चुके हैं। 2018 में मोटिवेशनल स्पीकर बन गई। 2018 में सलमान खान के साथ बीइंग ह्युमन की मॉडलिंग की। 2019 में मैंने बॉम्बे टाइम फैशन वीक के लिए रैंप वॉक किया। बिग बाजार के लिए एड कर चुकी हूं।