देश के अधिकांश हिस्सों से मॉनसून (Monsoon) वापस लौट गया है. अब यह ओडिशा के केवल एक छोटे से हिस्से, पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों और दक्षिणी महाराष्ट्र में है. पूरे देश से इसके जाने की सामान्य तारीख 15 अक्टूबर दर्ज की गई. वैज्ञानिकों के अनुसार मानसून ने इस बार वापस जाने में देरी की है. सामान्य तिथि 17 सितंबर के मुकाबले इस साल 6 अक्टूबर से मानसून वापस जाना शुरू हुआ लेकिन, जब वापस जाना शुरू हुआ तो इसमें तेजी देखी गई.
राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र के प्रमुख ने बताया है कि जब वापसी रेखा 15 डिग्री अक्षांश पर पहुंच जाती है तो मानसून की वापसी पूरी हो जाती है. हम उस लाइन के बेहद करीब हैं. केवल गोवा, महाराष्ट्र और उत्तर-पूर्व का बहुत छोटा हिस्सा बचा है. अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के ऊपर दो कम दबाव के क्षेत्र विकसित हुए हैं, जो मध्य और पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में बारिश लाएंगे, लेकिन इसे मानसून की बारिश के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है.
24 घंटों के दौरान पूरी तरह जाने की उम्मीद
मानसून की वापसी के साथ, उत्तरी मैदान सर्दियों की शुरुआत के लिए तैयार हो जाती है, हालांकि, हाल के वर्षों में इसका मतलब वायु प्रदूषण में भी वृद्धि हुई है. एक विशेषज्ञ ने कहा कि शुक्रवार तक मानसून पूरी तरह से वापस चला जाएगा लेकिन, देश के कुछ हिस्सों में बारिश जारी रह सकती है. अगले 24 घंटों के दौरान मानसून के पूरी तरह से वापस जाने की उम्मीद है. लेकिन उत्तरी पाकिस्तान पर पश्चिमी विक्षोभ और ओडिशा तट के पास एक कम दबाव का क्षेत्र जो अंदर की ओर जाएगा.
वहीं, मौसम विभाग ने बताया है कि उत्तर प्रदेश और दिल्ली एनसीआर में छिटपुट बारिश और हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में शनिवार से सोमवार के बीच भारी बारिश की संभावना है. बारिश बंद होने के बाद उत्तर पश्चिमी भारत में न्यूनतम तापमान गिरने की संभावना है, जबकि पूर्वोत्तर मानसून प्रायद्वीपीय भारत में सेट होता है. ऐसे में उत्तर पश्चिम भारत में प्रदूषण के स्तर में वृद्धि की उम्मीद जताई गई है.