आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को सायंकाल तारा उदय होने के समय विजयकाल रहता है इसलिए इसे विजयादशमी (Vijay Dashmi) या फिर दशहरा (Dussehra) कहा जाता है. इस साल ये तिथि 15 अक्टूबर 2021 दिन शुक्रवार को है. मान्यता है कि जब भगवान श्री राम की पत्नी माता सीता को लंका का राजा रावण अपहरण करके ले गया तब नारद मुनि के निर्देश के अनुसार भगवान श्री राम ने शक्ति की साधना का नौ दिन व्रत करके भगवती दुर्गा को प्रसन्न कर, विजय का वर प्राप्त किया और रावण की लंका पर चढ़ाई की. इसी आश्विन शुक्ल दशमी के दिन राम ने रावण का वध कर विजय प्राप्त की थी. तब से इसे तिथि को विजयादशमी के रूप में मनाया जाने लगा.
देवी अपराजिता का करें विशेष पूजन
विजयादशमी के दिन अपराजिता पूजन व शमी पूजन का विधान है. स्कंद पुराण के अनुसार जब दशमी नवमी से संयुक्त हो तो अपराजिता देवी का पूजन दशमी तिथि को उत्तर पूर्व दिशा में दोपहर के समय विजय एवं कल्याण की कामना के लिए किया जाना चाहिए. इसके लिए सबसे पहले पवित्र स्थान पर चंदन से आठ कोण दल बनाकर संकल्प करना चाहिए- ‘मम सकुटुम्बस्य क्षेमसिद्धयर्थ अपराजिता पूजन करिष्ये’. इसके बाद उस आकृति के बीच में अपराजिता का आवाहन करना चाहिए. साथ ही दाहिने एवं बायें तरफ जया एवं विजया का आवाहन करना चाहिए. इसके बाद ‘अपराजितायै नमः जयायै नमः विजयायै नमः’ मंत्रों के साथ षोडशोपचार पूजन करना चाहिए. जब पूजा कर लें तो उसके बाद प्रार्थना करें कि – ‘हे देवी, यथाशक्ति मैंने जो पूजा अपनी रक्षा के लिए की है उसे स्वीकार कर आप अपने स्थान को जा सकती हैं.
शमी के वृक्ष की भी पूजा करें
अपराजिता पूजन के पश्चात उत्तर-पूर्व की ओर शमी वृक्ष की पूजा करना चाहिए. शास्त्रों में शमी का अर्थ शत्रुओं का नाश करने वाला बताया गया है. शमी वृक्ष की पूजा करने के लिए उसे नीच नीचे चावल, सुपारी व तांबे का सिक्का रखते हैं. फिर वृक्ष की प्रदक्षिणा करके उसकी जड़ के पास मिट्टी व कुछ पत्ते घर लेकर आते हैं.
दशहरा का धार्मिक महत्व क्या है?
विजयादशमी या फिर कहें दशहरा असत्य पर सत्य की जीत, अन्याय पर न्याय, अधर्म पर धर्म, दुष्कर्मों पर सत्कर्मों की जीत का प्रमुख पर्व है. यह पर्व हमें जीवन में सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है. यह सनातन सत्य है कि हमेशा शुभ कर्मों की ही जीत होती है. विजयादशमी को विजय पर्व भी कहा जाता है.
धम्मचक्र प्रवर्तन दिन । यावर्षी देखील नागपूरच्या दीक्षाभूमीवर उसळणार नाही निळा जनसागर