विजयादशमी पर नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने किया ‘शस्त्र पूजन’
विजयादशमी ( Vijaya Dashami) के मौके पर शुक्रवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर मुख्यालय में ‘शस्त्र पूजन’ किया. इस मौके पर भागवत ने डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और माधव सदाशिव गोलवलकर को भी पुष्पांजलि अर्पित की. इस दौरान अपने संबोधन में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जिस दिन हम स्वतंत्र हुए उस दिन स्वतंत्रता के आनंद के साथ हमने एक अत्यंत दुर्धर वेदना भी अपने मन में अनुभव की. वो दर्द अभी तक गया नहीं है. अपने देश का विभाजन हुआ, अत्यंत दुखद इतिहास है वो लेकिन उस इतिहास के सत्य का सामना करना चाहिए, उसे जानना चाहिए.
अखंडता को वापस लाने के लिए जानना होगा इतिहास
संघ प्रमुख ने कहा जिस शत्रुता और अलगाव के कारण विभाजन हुआ उसकी पुनरावृत्ति नहीं करनी है. पुनरावृत्ति टालने के लिए, खोई हुई हमारे अखंडता और एकात्मता को वापस लाने के लिए उस इतिहास को सबको जानना चाहिए. खासकर नई पीढ़ी को जानना चाहिए. खोया हुआ वापस आ सके, खोए हुए बिछड़े हुए को वापस गले लगा सकें. उन्होंने कहा अपने मत, पंथ, जाति, भाषा, प्रान्त आदि छोटी पहचानों के संकुचित अहंकार को हमें भूलना होगा.
स्वाधीनता रातों रात नहीं मिली
उन्होंने कहा कि यह साल हमारी स्वाधीनता का 75वां वर्ष है. 15अगस्त 1947 को हम स्वाधीन हुए. हमने अपने देश के सूत्र देश को आगे चलाने के लिए स्वयं के हाथों में लिए. स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर हमारी यात्रा का वो प्रारंभ बिंदु था. हमें यह स्वाधीनता रातों रात नहीं मिली है. संघ प्रमुख ने कहा कि स्वतंत्र भारत का चित्र कैसा हो इसकी भारत की परंपरा के अनुसार समान सी कल्पनाएं मन में लेकर, देश के सभी क्षेत्रों से सभी जातिवर्गों से निकले वीरों ने तपस्या त्याग और बलिदान के हिमालय खडे किये हैं.
किया जा रहा है भारतीयों को भ्रमित करने का काम
मोहन भागवत ने कहा कि ‘स्वाधीनता’ से ‘स्वतंत्रता’ तक का हमारा सफर अभी पूरा नहीं हुआ है. दुनिया में ऐसे तत्व हैं जिनके लिए भारत की प्रगति और एक सम्मानित स्थान पर उसका उदय उनके निहित स्वार्थों के लिए हानिकारक है. उन्होंने कहा कि विश्व को खोया हुआ संतुलन और परस्पर मैत्री की भावना देने वाला धर्म का प्रभाव ही भारत को प्रभावी करता है. यह ना हो पाए इसीलिए भारत की जनता, इतिहास, संस्कृति इन सबके विरुद्ध असत्य कुत्सित प्रचार करते हुए, विश्व को और भारत के जनों को भी भ्रमित करने का काम चल रहा है.
किया जनसंख्या नीति का समर्थन
मोहन भागवत ने कहा जनसंख्या नीति पर एक बार फिर से विचार किया जाना चाहिए. 50 साल आगे तक का विचार कर नीति बनानी चाहिए और उस नीति को सभी पर समान रूप से लागू करना चाहिए. जनसंख्या का असंतुलन देश और दुनिया में एक समस्या बन रही है.