देश के अन्य राज्यों के साथ-साथ महाराष्ट्र में भी ईद मिलादुन्नबी की तैयारियां हो चुकी है। मंगलवार, 19 अक्टूबर को ईद मिलादुन्नबी मनाई जाएगी। हालांकि महाराष्ट्र सरकार के द्वारा कोविड-19 गाइड लाइन को देखते हुए मुस्लिम समाज ने यह फैसला लिया है कि राज्य में ईद मिलादुन्नबी का जुलूस नहीं निकाला जाएगा। कोविड-19 के गाइडलाइन को देखते इस वर्ष यह तय किया गया है कि ईद मिलादुन्नबी के जुलूस को मोहल्ले में ही निकाला जाएगा और वापस फिर लोग अपने घर को चले जाएंगे।
पैगम्बर मुहम्मद के जन्मदिन, ईद-ए-मिलाद-उन-नब़ी के पावन अवसर पर, मैं सभी देशवासियों, विशेष रूप से हमारे मुस्लिम भाइयों-बहनों को मुबारकबाद देता हूं। आइए, हम सब पैगम्बर मुहम्मद के जीवन से प्रेरणा लेकर, समाज की खुशहाली के लिए और देश में सुख शांति बनाए रखने हेतु कार्य करें।
— President of India (@rashtrapatibhvn) October 19, 2021
हर वर्ष ईद मिलादुन्नबी के मौके पर मुस्लिम बहुल क्षेत्रो से विशाल जुलूस निकाला जाता था, जो संबंधित महानगर और गांवों के मुख्य चौराहों से होते हुए वापस लोग अपने घर को चले जाते थे। इस दौरान मुस्लिम सामाजिक संस्थाओं के द्वारा फलों और मिठाइयों का वितरण भी किया जाता था। जुलूस में शामिल लोगों के ऊपर फूलों की बारिश भी की जाती थी और इसके बाद लोग फातिहा खानी कर जरूरतमंदों के बीच खाना और वस्त्र का भी वितरण कर अपने घर को चले जाते थे।
क्यों मनाई जाती है ईद मिलादुन्नबी
571 ईसवी, को सऊदी अरब के शहर मक्का में पैगंबर साहब हजरत मुहम्मद (सल्ल) का जन्म हुआ था। इसी की याद में ईद मिलादुन्नबी का पर्व मनाया जाता है। हजरत मुहम्मद (सल्ल) ने ही इस्लाम धर्म को मजबूती के साथ पूरी दुनिया में कायम किया है। आप हजरत मोहम्मद,(सल्ल) इस्लाम के आखिरी नबी हैं, आपके बाद अब कयामत तक कोई नबी नहीं आने वाला है। मक्का की पहाड़ी की गुफा, जिसे गार-ए-हिराह कहते हैं, मोहम्मद (सल्ल) को वहीं पर (अल्लाह) रब्बुल इज्जत ने फरिश्तों के सरदार जिब्राइल, (अलै) के मार्फत पवित्र संदेश सुनाया।
(अल्लाह) रब्बुल इज्जत, के रसूल मोहम्मद, (सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम) से पहले पूरा अरब सामाजिक और धार्मिक बिगाड़ का शिकार था। लोग तरह-तरह के बूतों की पूजा करते थे। सैकड़ों की तादाद में, कबीले थे, जिनके अलग-अलग नियम और कानून थे। कमजोर और गरीबों पर जुल्म होते थे और औरतों का जीवन सुरक्षित नहीं था। आप (सल्ल) ने लोगों को एक ईश्वरवाद की शिक्षा दी। अल्लाह की प्रार्थना पर बल दिया। लोगों को पाक-साफ रहने के नियम बताए। साथ ही सभी लोगों के जानमाल की सुरक्षा के लिए भी इस्लामिक तरीके लोगों तक पहुंचाए। साथ ही (अल्लाह) रब्बुल इज्जत, के पवित्र संदेश को भी सभी लोगों तक पहुंचाया।
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