Home Diwali #Diwali | धनतेरस पर होता है कुबेर, लक्ष्मी, धन्वंतरि व यमराज का...

#Diwali | धनतेरस पर होता है कुबेर, लक्ष्मी, धन्वंतरि व यमराज का पूजन

657

कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र-मंन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन धन के देव कुबेर, मां लक्ष्मी, धन्वंतरि और यमराज का पूजन किया जाता है। इस दिन सोना, चांदी या बर्तन आदि खरीदना शुभ माना जाता है। धनतेरस के दिन सोना, चांदी, तांबा, पीतल आदि के बर्तन खरीदने की परंपरा है। उक्त खरीददारी एक निश्चित शुभ मुहूर्त होता है। शुभ मुहूर्त में खरीददारी करने से उसका उचित फल प्राप्त होता है। इस बार धनतेरस दो नवम्बर को है। धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी मनाया जाता है। इसे छोटी दीपावली भी कहा जाता है।

धनतेरस पर त्रिपुष्कर योग 

ज्योतिषाचार्य बता रहे हैं कि धनतेरस पर आज त्रिपुष्कर योग बना है. त्रिपुष्कर योग में जो भी कार्य किए जाते हैं, उसका तिगुना फल मिलता है. त्रिपुष्कर योग में सोना-चांदी खरीदने के अलावा निवेश के लिए भी अच्छा मौका है. ज्योतिषाचार्य बता रहे हैं कि त्रिपुष्कर योग मंगलवार और द्वादशी तिथि के संयोग से बनता है. द्वादशी तिथि 1 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 21 मिनट और 2 नवंबर सुबह 11:30 तक रहेगी. इसलिए इस योग का लाभ आज सुबह 11 बजकर 30 मिनट तक मिलेगा.

लोहा न खरीदें

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार लोहा शनि का कारक माना गया है. ऐसे में इस शुभ दिन लोहे की वस्तुएं घर लाना शुभ नहीं माना जाता. ऐसी मान्यता है कि धनतेरस के दिन लोहे से बनी कोई भी वस्तु यदि आप घर लाते हैं तो घर में दुर्भाग्य का प्रवेश हो जाता है.

ग्लास क्रॉकरी न खरीदें

धनतेरस पर चीनी मिट्टी या कांच से बनी चीजें नहीं खरीदें. इनका संबंध भी राहु से होता है. इसलिए धनतेरस के दिन इसे खरीदने से बचना चाहिए. इस दिन कांच की चीजों का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए.

धनतेरस के शुभ मुहूर्त

धनतेरस पूजा मुहूर्त शाम 06.16 बजे से रात 08.11 बजे तक

धनतेरस पूजन विधि

धनतेरस की शाम के समय उत्तर दिशा में कुबेर, धन्वंतरि भगवान और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पूजा के समय घी का दीपक जलाएं। कुबेर को सफेद मिठाई और भगवान धन्वंतरि को पीली मिठाई चढ़ाएं। पूजा करते समय कुबेर मंत्र का जाप करना चाहिए। फिर धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इसके बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करना चाहिए। माता लक्ष्मी और भगवान गणेश को भोग लगाएं और फूल चढ़ाना चाहिए। धनतरेस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। शास्त्रों में वर्णित है की कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी की रात यम देवता का पूजन कर दक्षिण दिशा की ओर भेंट करता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। इसलिए इस दिन घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखा जाता है।