लोक आस्था का महापर्व छठ 10 नवंबर को मनाया जाएगा। छठ पर्व चार दिन तक मनाया जाता है। इसकी शुरूआत कल चौथ के दिन से शुरू होगा, जो कि सप्तमी के दिन समाप्त होगा। पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन शाम में सूर्य अर्घ्य से चौथे दिन सुबह अर्घ्य पर समापन होता है। छठ के पर्व में छठी मैय्या और सूर्य देव का पूजन किया जाता है। इसे सूर्य षष्ठी भी कहा जाता है। छठ पूजा में प्रसाद में अलग-अलग फलों को चढ़ाने की अलग-अलग महत्ता है। आइए जानते हैं छठी मईया का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उन्हें कौन से फल चढ़ाने चाहिए….
1-डाभ नींबू या अतर्रा नींबू
डाभ नींबू या अतर्रा नींबू सामान्य नींबू से बड़ा होता है। इसका आकार बहुत बड़ा होने के कारण इसे पशु-पक्षी नहीं खा पाते हैं।लेकिन ये नींबू छठी मईया को विशेष रूप से पंसद है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए डाभ नींबू या अतर्रा नींबू जरूर चढ़ाना चाहिए।
2-केला
केला केला भगवान विष्णु का भी प्रिय फल है। माना जाता है कि इसमें विष्णु जी का वास है। केले को शुद्ध फल माना जाता है। छठी मईया को भी केला बहुत पसंद है। छई मईया को प्रसन्न करने के लिए केला चढ़ाया जाता है।
3- नारियल
छठ के त्योहार में नारियल चढ़ाने का विशेष महत्व है। छठ पर्व में पवित्रता का बहुत ध्यान रखा जाता है। नारियल का श्री फल माना जाता है, मान्यता है कि इसे चढ़ाने से घर में लक्ष्मी आती हैं।
4- गन्ना
छठी मईया को गन्ना बहुत प्रिय है। कई लोग गन्ने का घर बनाते हैं, उसमें पूजा करते हैं। मान्यता है कि छठी मईया घर में सुख–समृद्धि लाती है। इसके साथ ही छठ पूजा में गन्ने से बने गुड़ का प्रसाद भी बनाया जाता है।
5- सुथनी
सुथनी खाने में शकरकंदी की तरह होता है। यह फल बहुत शुद्ध माना जाता है इसलिए छठी मैय्या के डाले में सुथनी होता है। सुथनी मिट्टी से निकलता है, इसमें कई औषधीय गुण भी होते हैं।
6-सिंघाड़ा
सिंघाड़ा काफी सख्त होता है, इसलिए पशु-पक्षी भी इसे झूठा नहीं कर पाते है। साफ और शुद्ध होने के कारण छठी मैय्या को सिंघाड़ा भी चढ़ाया जाता है। सिघांड़ा लक्ष्मी जी का भी प्रिय फल माना जाता है। इसे चढ़ाने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
छठ पूजा 2021 कैलेंडर
- 08 नवंबर: दिन: सोमवार: नहाय खाय से छठ पूजा का प्रारंभ।
- 09 नवंबर: दिन: मंगलवार: खरना।
- 10 नंवबर: दिन: बुधवार: छठ पूजा, डूबते सूर्य को अर्घ्य।
- 11 नवंबर: दिन: गुरुवार: उगते हुए सूर्य को अर्घ्य, छठ पूजा समापन।
नहाय खाय: छठ पूजा का प्रारंभ नहाय खाय से होता है। इस वर्ष नहाय खाय 08 नवंबर को होगा।
खरना: छठ पूजा का दूसरा दिन खरना होता है, जो इस वर्ष 09 नवंबर को है। खरना को लोहंडा भी कहा जाता है। खरना छठ पूजा का महत्वपूर्ण दिन होता है। खरना वाले दिन व्रत रखा जाता और रात में खीर खाकर फिर 36 घंटे का कठिन व्रत रखा जाता है। खरना के दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है।
छठ पूजा: खरना के अगले दिन छठी मैया और सूर्य देव की पूजा होती है। इस साल छठ पूजा 10 नवंबर को है। छठ पूजा के दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
छठ पूजा समापन: छठ पूजा का समापन अगले दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ हो जाता है। 36 घंटे का कठिन व्रत पारण के बाद पूर्ण किया जाता है।