अपने तेज तर्रार स्वभाव के चलते राजनेताओ के हमेशा निशाने पर रहने वाले आईएएस अधिकारी तुकाराम मुंढे को हाल में जीवन प्राधिकरण का सदस्य सचिव बनाया गया था. उनका तबादला नागपुर से मुंबई कर दिया गया. हालांकि मुंढे की कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद से ही वो होम आइसोलेशन में थे. लेकिन अभी दो दिन पहले ही उनका ये समय पूरा हुआ है. जानकारी मिली है कि वो जल्द ही पदभार सँभालने मुंबई जाने वाले थे. इसीबीच उनके नए स्थान पर अन्य अधिकारी की नियुक्ति कर दी गई. दोपहर होते -होते मुंढे का तबादला भी रद्द कर दिया गया. ऐसे में नागपुर में मुंढे को लेकर चर्चाएं होने लगी है. उधर ट्वीट कर आज ही तुकाराम मुंढे ने नागपुर को गुड बाई कह दिया है.
Goodbye @ngpnmc…
Thankyou Nagpur…!
— Tukaram Mundhe (@Tukaram_IndIAS) September 10, 2020
मैं तो चला अपनी राह पर…
तुकाराम मुंढे ने एक वीडियो शेयर किया है जिसमे कहा है कि, मनपा में 7 महीने रहने के बाद आज नागपुर को अलविदा कहने का समय आ गया है. कोविड और अतिक्रमण के मामले में अच्छा काम करने की कोशिश की है. मैं अपने काम में कितना सफल रहा ये आप ही बेहतर समझते है. अगर हमें आगे जाना है तो एकता बनाये रखनी होगी.
क्या नागपुर के कलेक्टर बनाये जायेंगे?
तुकाराम मुंढे का तबादला रद्द होने के बाद उन्हें नागपुर का जिलाधिकारी बनाया जा सकता है ऐसी चर्चा चल पड़ी है. उल्लेखनीय है की मौजूदा कलेक्टर रवींद्र ठाकरे कोविड संक्रमित होने के बाद से होम आइसोलेशन में है. ऐसे संक्रमण के समय इस पद को प्रभारी के भरोसे नहीं चलाया जा सकता. इसलिए चर्चा में डम नजर आ रहा है.
सीएम के चहेते अधिकारी है मुंढे
उल्लेखनीय है की राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पहले भी तुकाराम मुंढे की तारीफ कर चुके है. मुंढे उनके चहेते अधिकारियों में शुमार किये जाते है. ऐसे में सीएम ठाकरे, मुंढे को नागपुर से हटाना चाहते भी है या नहीं ये देखना होगा.
15 साल की नौकरी में 14 बार ट्रांसफर
- तुकाराम मुंढे का विवादों के साथ भी गहरा नाता रहा है. अक्सर नेताओं के साथ इनका टकराव होता रहा है. इस बार भी नागपुर आयुक्त पद से उनका तबादला स्थानीय नेता और अन्य सम पदस्थ अधिकारियों के भारी विरोध के चलते होना बताया जाता है.
- पिछले 15 साल की नौकरी में तुकाराम मुंढे का 14 बार ट्रांसफर हो चुका है. मई 2016 से अब तक 6 बार उनका तबादला हो चुका है.
जानें तुकाराम मुंढे के बारे में :
- तुकाराम मुंढे का जन्म बीड जिले के तडसेना के एक छोटे से शहर में हुआ था. वह और उनके भाइयों ने कक्षा -10 तक जिला परिषद के स्कूल में अध्ययन किया। उनके पिता ऋणदाता के कर्ज में थे. 2001 में, अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्हें राज्य सेवा परीक्षा में दक्षता मिली और वित्त विभाग के दूसरे डिवीजन में नौकरी मिली।
- वह दो महीने के लिए जलगांव में एक प्राध्यापक के रूप में काम करते रहे. उन्होंने मई 2005 में यशदा पुणे में प्रशिक्षण के दौरान केंद्रीय सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की । विशेष रूप से, वे देश में 20 वें स्थान पर थे. उनकी सेवा सोलापुर से शुरू हुई.
- 2008 में, जब उन्हें नागपुर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में चुना गया था। उसी दिन उन्होंने कुछ स्कूलों का दौरा किया। इस दौरान उन्हें कई शिक्षक अनुपस्थित दिखाई दिए थे. अगले दिन, उन्होंने सभी शिक्षकों को निलंबित कर दिया। तब से, शिक्षको की अनुपस्थिति में सुधार आ गया.
- शाला चिकित्सा देखभाल में अनियमितताओं को देखते हुए, उन्होंने कुछ डॉक्टरों को निलंबित कर दिया इतिहास में पहली बार, सीईओ ने डॉक्टर को निलंबित किया था. 2009 में उन्हें अतिरिक्त जनजातीय आयुक्त के रूप में नागपुर स्थानांतरित कर दिया गया था.
- मई 2010 में, केवीआईसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में मुंबई में स्थानांतरित किया गया था। बाद में, जालना के कलेक्टर बना दिए गए.
- वर्ष 2011-12 में, उन्होंने सोलापुर जिले के कलेक्टर के रूप में पदभार संभाला। सितंबर 2012 में, उन्हें मुंबई, बिक्री और कराधान विभाग में स्थानांतरित किया गया था।
- जब वह पंढरपुर मंदिर समिति के अध्यक्ष थे, तो उन्होंने 21 दिनों में 3 हजार शौचालय व्यवस्थित किए। उसी समय उन्होंने मुख्यमंत्री के काफिले में शामिल अन्य वीआईपी को रोक दिया था.
- नवी मुंबई के आयुक्त और बाद में पुणे महानगर निगम के पीएमपीएमएल के अध्यक्ष पद को भी उन्होंने बखूबी संभाला था.