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महंगाई डायन | थोक महंगाई लगातार दूसरे महीने 15% से ऊपर, सब्जियों के दामों ने भी लगाईं उछाल

थोक महंगाई लगातार 14वें महीने डबल डिजिट में बनी हुई है। थोक मूल्य सूचकांक आधारित (WPI) महंगाई दर मई में 15.88% पर पहुंच गई। अप्रैल में ये 15.08% रही थी। इससे पहले ये मार्च 2022 में ये 14.55% पर, जबकि फरवरी में 13.11% पर थी। सब्जियों समेत अन्य चीजों के दाम बढ़ने से थोक महंगाई बढ़ी है।

दिसंबर 1998 में WPI 15.32% दर्ज की गई थी। इस बार WPI इस लेवल के भी पार निकल गई। ऑफिस ऑफ इकोनॉमिक एडवाइजर, डिपार्टमेंट ऑफ प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड हर महीने 14 तारीख को या अगले वर्किंग डे पर थोक मूल्य सूचकांक (WPI) के अनंतिम आंकड़े जारी करता है।

मई में खाद्य महंगाई दर 10.89% पर पहुंच गई जो अप्रैल में 8.88% थी।

  • सब्जियों की महंगाई 23.24% से बढ़कर 56.36% हो गई।
  • आलू की महंगाई 19.84% से बढ़कर 24.83% हो गई।
  • अंडे, मीट और मछली की महंगाई भी 4.50% से बढ़कर 7.78% हो गई।
  • प्याज की महंगाई कम हुई है। ये -4.02% से घटकर -20.40% हो गई।
  • मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की महंगाई 10.85% से घटकर 10.11% रही।

मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट इंडेक्स मई में 0.56% बढ़कर 144.8 हो गया, जो अप्रैल महीने में 144.0 था। कीमतों में बढ़ोतरी मुख्य रूप से केमिकल और केमिकल प्रोडक्ट, फूड प्रोडक्ट, टेक्सटाइल, मशीनरी और उपकरण और बिजली के उपकरणों के कारण है। जिनकी कीमतों में कमी आई है, वे हैं बेसिक मेटल्स, कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक और ऑप्टिकल प्रोडक्ट।

थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहना चिंता का विषय है। ये ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर को प्रभावित करती है। यदि थोक मूल्य बहुत ज्यादा समय तक उच्च रहता है, तो प्रड्यूसर इसे कंज्यूमर्स को पास कर देते हैं। सरकार केवल टैक्स के जरिए WPI को कंट्रोल कर सकती है।

जैसे कच्चे तेल में तेज बढ़ोतरी की स्थिति में सरकार ने ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी कटौती की थी। हालांकि, सरकार टैक्स कटौती एक सीमा में ही कर सकती है, क्योंकि उसे भी सैलरी देना होता है। WPI में ज्यादा वेटेज मेटल, केमिकल, प्लास्टिक, रबर जैसे फैक्ट्री से जुड़े सामानों का होता है।

खाने पीने के सामान से लेकर फ्यूल और बिजली की महंगाई कम होने से रिटेल महंगाई दर घटी है। सोमवार को जारी किए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित रिटेल महंगाई दर मई में घटकर 7.04% हो गई। एक साल पहले मई 2021 में ये 6.30% थी।

हालांकि, यह लगातार पांचवां महीना है जब महंगाई दर RBI की 6% की ऊपरी लिमिट के पार रही है। जनवरी 2022 में रिटेल महंगाई दर 6.01%, फरवरी में 6.07%, मार्च में 6.95% और अप्रैल में यह 7.79% दर्ज की गई थी। खाद्य महंगाई दर मई में 8.38% से घटकर 7.97% हो गई।