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Pune | रामराज्य सुशासन का सबसे अच्छा उदाहरण

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केंद्रीय विधि न्याय राज्यमंत्री प्रो.एसपी सिंह ने १२वें भारतीय छात्र संसद के उद्घाटन पर कहा
१० हजार से अधिक छात्रों ने लिया बढचढकर हिस्सा

पुणे ब्यूरो : समकालीन राजनीति परिवर्तन के दौर से गुजर रही है और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की आकांक्षा करनी चाहिए. भारतीय छात्र संसद भविष्य का नेतृत्व बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. रामराज्य सुशासन का सबसे अच्छा उदाहरण है. ऐसे विचार केंद्रीय विधि न्याय राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने व्यक्त किए.
भारतीय छात्र संसद फाउंडेशन, एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट और एमआईटी वर्ल्ड पीस युनिवर्सिटी, पुणे के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय भारतीय छात्र संसद के १२वें संस्करण के उद्घाटन मौके पर बतौर मुख्य अतिथि के रूप में वे बोल रहे थे.

इस मौके पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. कैलासवादिवु सिवन, प्रख्यात पर्यावरणविद एवं पद्मभूषण से सम्मानित अनिल प्रकाश जोशी, इंडियन मर्चेंट चैंबर्स के अध्यक्ष एवं जेके एंटरप्राइजेस के सीईओ अनंत अजयपत सिंघानिया, शास्त्रीय गायिका कौशिकी चक्रवर्ती मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. अध्यक्ष के रूप में भारतीय छात्र संसद के सरंक्षक प्रो. विश्वनाथ दा. कराड उपस्थित थे.

साथ ही भारतीय छात्र संसद के संस्थापक राहुल विश्वनाथ कराड, प्रा. शरदचंद्र दराडे पाटिल, एमआईटी डब्ल्यूपीयू के कुलपति डॉ. आर.एम. चिटणीस, के. गिरीसन, पं. वसंतराव गाडगील उपस्थित थे.

राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने कहा कि विश्वविद्यालयों में फिर से छात्र चुनाव शुरू करना चाहिए. साथ ही इस विश्वविद्यालय द्वारा इस पर विचार करने का अनुरोध भी किया. एमआईटी डब्ल्यूपीयू जैसे विश्वविद्यालय भारत को विश्वगुरू बनाने में मदद करेंगे.

डॉ. सिवन ने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी रॉकेट के बारे में नहीं है, बल्कि ग्रामीण आबादी और भारत के समाज में परिवर्तन लाने के बारे में हैं. अंतरिक्ष प्रौद्यगिकी अब हमें चक्रवात आदि जैसी चरम प्राकृतिक घटनाओं की भविष्यवाणी करने में मदद कर रही है, जिसके परिणामस्वरूप हताहत होने से बचा जा रहा है और किसानों और मछुआरोें की पैदवार बढ रही है.

 

कौशिकी चक्रवर्ती ने कहा कि जीवन के बारे में मेरी समझ संगीत के माध्यम से हुई है. हमारे अपने लोकाचार की तरह हमें संगीत को हर किसी के दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना होगा.

 

अनंत अजयपत सिंघानिया ने कहा कि हमारे देश के छात्र और युवाओं को प्राथमिकताओं पर ध्यान देना चाहिए, नए तरीके बनाना चाहिए और समसयाओं का समाधान खोजना चाहिए. हम अगले कुछ दशकों में एक विवर्तनिक विकास देखने जा रहे है. मुझे एक भारत दिखाई देता है, जो न केवल आत्मनिर्भर है बल्कि दुनिया भी हम पर निर्भर होगी.

 

डॉ. अनिल जोशी ने कहा कि जैसे दिल्ली राजनीतिक राजधानी है और मुंबई वित्तीय राजधानी है, हिमालय भारत की पारिस्थितिक राजधानी है. पहले हमारे पास आर्थिक असुरक्षा थी लेकिन अब हम पारिस्थितिक असुरक्षा का सामना कर रहे हैं. अब हम मुंबई से उत्तराखंड तक साइकिल रैली का आयोजन कर पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील मुद्दों पर जागरूकता पैदा कर रहे हैं.

 

प्रो. डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा कि जीवन के तंत्र को समझना हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. छात्रों को स्व धर्म, स्वाभिमान और स्व तत्व का भी अनुभव करना चाहिए. आधुनिक विज्ञान ने भौतिक शरीर को समझने का प्रयास किया है लेकिन हम मानव मन और आत्मा का अध्ययन नहीं कर पाए है. छात्रों को संत ज्ञानेश्वर और संत तुकाराम के बारे में पढना चाहिए और इस देश की समृध्द आध्यात्मिक विरासत को समझना चाहिए.

राहुल विश्वनाथ कराड ने कहा कि राजनीति कोई बुरा शब्द नहीं है, यह हमें निर्णय लेने में मदद करता है. हम राजनीति को सकारात्मक तरीके से समाज के सामने रखना चाहते हैं. जबकि संसद लाइब्ररी हमारे देश की राजधानी में अच्छी तरह से सुसज्जित और अनुरक्षित है. हमें विधानसभा, नगर निगम और जिला परिषद में ऐसे ज्ञान केंद्र और संस्थान बनाने की आवश्यकता है. राजनीति में सक्षम एवं शिक्षित लोगों को शामिल होना चाहिए. बीसीएस ऐसे सभी पहलुओं में जागरूकता पैदा करेगा. वर्तमान दौर में हमें औपनिवेशक मानसिकता को छोडकर इंडिया के बजाय भारत कहना चाहिए. इसके लिए अभियान की भी शुरूआत हुई है.

एमआईटी एसओजी के छात्र जम्मू कश्मीर से नंदिता जामवाल और पंजाब से धीरेंद्र सिंह ने अपने विचार साझा किए. प्रस्तावना डॉ. आर.एम. चिटणीस ने रखी. सूत्रसंचालन प्रा. गौतम बापट और प्रा. डॉ. के. गिरीसन ने सभी का आभार माना.