Home Education #Pune | नई शिक्षा नीति से प्रोफेसरों की नौकरी प्रभावित नहीं होगी

#Pune | नई शिक्षा नीति से प्रोफेसरों की नौकरी प्रभावित नहीं होगी

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  • महाराष्ट्र के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल का आश्वासन
  • एमआईटी में २७ वे दार्शनिक संतश्री ज्ञानेश्वर-तुकाराम स्मृती व्याख्यान श्रृंखला में कहा

पुणे ब्यूरो: नई शिक्षा नीति मानव वर्धक है और दुनिया के सभी विश्वविद्यालयों के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर करने के लिए काम चल रहा है. आगामी शैक्षणिक वर्ष से कॉलेजों में नई शिक्षा नीति लागू करेेंगे. चार साल की डिग्री और पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा. साथ ही, इस बदलाव के कारण, प्रोफेसरों की नौकरी प्रभावित नहीं होगी. यह आश्वासन महाराष्ट्र के उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने दिया.

एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी, विश्वशांति केंद्र (आलंदी), माईर्स एमआईटी, पुणे, भारत और संतश्री ज्ञानेश्वर-संतश्री तुकाराम महाराज स्मृती व्याख्यानमाला न्यास के संयुक्त तत्वावधान में यूनेस्को अध्ययन के तहत आयोजित २७ वे दार्शनिक संतश्री ज्ञानेश्वर तुकाराम स्मृति व्याख्यानमाला में दूसरे सत्र में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे.

इस समारोह के लिए प्रो.डॉ. मोहन केशव फडके विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे. वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी, विश्वशांति केंद्र (आलंदी) के संस्थापक अध्यक्ष और यूनेस्को अध्ययन के प्रमुख प्रो.डॉ. विश्वनाथ दा. कराड उपस्थित थे.

साथ ही एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल विश्वनाथ कराड, कुलपति डॉ. आर.एम.चिटणीस, डॉ. प्रसाद खांडेकर एवं प्रो. दत्ता दांडगे उपस्थित थे.

इस मौके पर प्रो.डॉ. मोहन केशव फडके द्वारा लिखित अंग्रेजी और मराठी पुस्तक वैदिक मंत्र फॉर द डिजीज फ्री लाइफ का विमोचन गणमान्य व्यक्तियों द्वारा किया गया है.

चंद्रकांत पाटिल ने कहा, पॉलिटेक्निक, इंजीनियरिंग, मेडिकल और लॉ की सारी शिक्षा मराठी में बनाने का काम चल रहा है. अगले मार्च से उनके प्रश्न पत्र दो भाषाओं में होगे. शुरूआत में मराठी और अंग्रेजी भाषा के विकल्प दिए जाएंगे. किसी एक भाषा को चुनें और उसी भाषा में उत्तर दे. इस पध्दति का पहला चरण पूरा कर रहे है.

१२वीं के बाद पॉलिसी में ४ साल की डिग्री होगी. कोर्स का ७० प्रतिशत करियर ओरिएंटेड होगा. शेष ३० प्रतिशत पाठ्यक्रम में योग, दर्शन, ध्यान, खेल और संगीत जैसे विषय शामिल होंगे. इसमें छात्रों द्वारा अर्जित अंक इसके डिजिटल बैंक में जमा किए जाएंगे. जब छात्र शिक्षा के लिए विदेश जाएगा, तो उसके डिजिटल बैंक खाते से वे अंक वहां के विश्वविद्यालय में जमा कर दिए जाएंगे. शिक्षा की नई प्रणाली आकर्षक नहीं होगी. बल्कि मनुष्य को परिपूर्ण करेगी. जून २०३० में यह सभी के लिए अनिवार्य होगा.

चंद्रकांत पाटिल ने आगे कहा कि नई शिक्षा नीति ने प्रोफेसरों के मन में काफी डर पैदा कर दिया है.लेकिन उन्हें डरने की जरूरत नहीं है. उन पर कार्यभार में कोई वृद्धि या कमी नहीं होगी. साथ ही उन्हें काम से कम नहीं किया जाएगा. लेकिन प्रोफेसरों की भर्ती बडे पैमाने पर होने जा रही है. उन्होंने कहा कि अब राज्य में नए कला, वाणिज्य और विज्ञान महाविद्यालयों को अनुमति नहीं दी जाएगी.

व्यावसायिक शिक्षा के साथ साथ बजट का १० प्रतिशत इस पर खर्च किया जाए, ताकि शिक्षा मातृभाषा के माध्यम से हो, पूर्व प्राथमिक और प्राथमिक शिक्षा पर अधिक जोर दिया जाएगा. अर्थात बच्चों के बुद्धि और आत्मा के पूर्ण विकास पर जोर दिया जाएगा. ६ साल की उम्र तक के बच्चे जिन्हें बचपन से ही अद्वैत दर्शन का ज्ञान दिया जाएगा.

प्रो. डॉ. विश्वनाथ दा. कराड ने कहा, ईश्वर एक शक्ति है, व्यक्ति नहीं. शिक्षा से ही मनुष्य और विश्व का मार्गदर्शन किया जा सकता है. साथ ही जीवन में सभी चीजों का अनुभव करने के लिए अध्यात्म को समझना जरूरी है. ज्ञानेश्वरी के सभी सिध्दांत मानव कल्याण के लिए हैं. अध्यात्म एक विज्ञान है अंधविश्वास नही. दुनिया को नई दिशा देने के लिए शिक्षा के एक नए तरीके की जरूरत है.

प्रो.डॉ. आर.एम.चिटणीस ने स्वागत पर भाषण दिया. प्रो. डॉ. प्रसाद खांडेकर ने प्रस्तावना रखी. प्रो. अतुल कुलकर्णी ने सूत्रसंचालन तथा प्रो.दत्ता दांडगे ने सभी का आभार माना.