Home Police झपकी लेना समृद्धि महामार्ग पर हादसों का मुख्य कारण

झपकी लेना समृद्धि महामार्ग पर हादसों का मुख्य कारण

Photo: Umesh Varma Moonlight Dharampeth Nagpur

उपायों का हो रहा असर, 29 दिनों में कोई हादसा नहीं, मृत्युंजय दूतों ने बचाई1634 की जानें, महाराष्ट्र हाईवे पुलिस के पुलिस महासंचालक डॉ. रवींद्र सिंघल ने कहा

नागपुर ब्यूरो: महाराष्ट्र हाईवे पुलिस के पुलिस महासंचालक डॉ. रवींद्र सिंघल ने कहा कि नागपुर-मुंबई समृद्धि महामार्ग पर पिछले 29 दिनों में कोई भी हादसा नहीं हुआ है. उन्होंने जुलाई तक हुए सड़क हादसों, कारणों और सुधारों के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा के सर्वे में हमें अभी तक समृद्धि महामार्ग पर कोई तकनीकी गड़बड़ी नहीं मिली है. यहां हुए हादसों में रात के समय नींद की झपकी, ओवर स्पीड, सड़क सम्मोहन जैसे कारण प्रमुख हैं. वे शुक्रवार शाम क्षेत्रीय पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में आयोजित मृत्युंजय दूत सत्कार कार्यक्रम में बोल रहे थे.

उन्होंने कहा कि पिछले 29 दिनों में समृद्धि महामार्ग पर कोई हादसा नहीं हुआ. उन्होंने बताया कि नागपुर सेक्शन के तहत 200 से 300 किलोमीटर के बीच ज्यादा हादसे हुए हैं. ये सेक्शन बुलढाणा से वाशिम के बीच आता है. उन्होंने कहा कि देश के सबसे सुरक्षित जाने जाने वाले यमुना एक्सप्रेस वे पर भी शुरुआत में बहुत हादसे हुए थे, लेकिन बाद में इनकी संख्या कम हो गई. ऐसा ही समृद्धि महामार्ग पर भी हो रहा है. हरियाली, जरूरी फ्लैग्स आदि लगाने के बाद काफी बदलाव आया है. उन्होंने कहा कि राज्य के मृत्युंजय दूतों ने अपनी नि:स्वार्थ सेवाभाव से कार्य करते हुए 892 हादसों में 1634 लोगों की जान बचाई है, जो काफी सराहनीय है. इस अवसर पर उन्होंने नागपुर क्षेत्र में हाईवे पर हुए विभिन्न हादसों में लोगों की जान बचाने वाले निरीक्षक रवींद्र दुबे और उनकी टीम सहित मृत्युंजय दूत युवकों व पुलिस कर्मचारियों को सम्मानित किया.

सिंघल ने बताया कि राज्य में वर्तमान में 3605 मृत्युंजय दूत हमारे साथ जुड़े हैं. इन्होंने जीरो आवर अर्थात हादसे के बाद शुरुआती पहले घंटे में तत्परता दिखाते हुए 892 हादसों में अपनी नि:स्वार्थ सेवा दी. इनमें 2918 लोग घायल हुए, जिनमें से 1634 लोगों को बचाया गया. हमारी ओर से भी मृत्युंजय दूतों को पूरा सहयोग किया जा रहा है. इसके लिए सर्वाेच्च न्यायालय के दिशानिर्देश का पालन किया जा रह है. इसके तहत मृत्युंजय दूतों को हादसे के संबंध में पूछताछ के लिए बार-बार परेशान नहीं किया जाता है.

उन्होंने कहा कि हाईवे या ग्रामीण की तुलना में शहरों में ज्यादा हादसे होते हैं. महाराष्ट्र में हाईवे पर ऐसे 1004 ब्लैक स्पॉट मिले हैं, जहां एक से छह महीनों के भीतर 5 या इससे ज्यादा हादसे हुए हैं या 10 की मौत हुई है. राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य राजमार्ग या किसी भी सड़क पर रील्स बनाने या स्टंट दिखाने के बाद मामला संज्ञान में आते ही आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामले दर्ज किए जा रहे हैं. हम भी युवाओं और लोगों से अपील करते हैं कि रील्स के चक्कर में अपनी और दूसरों की जान से खिलवाड़ न करें. सभी संबंधित अधिकारियों व विभागों को सख्ती से कार्रवाई करने के साथ ही जनजागृति करने के निर्देश दिए हैं.