दिल्ली डेस्क : अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने यह जानकारी दी है कि, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station) पर अंतरिक्ष यात्रियों ने एक ऐसा “युद्धाभ्यास” (Operation) किया, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि अंतरिक्ष के मलबे अंतरिक्ष स्टेशन से न टकराएं. नासा ने दुनियाभर के देशों से पृथ्वी की कक्षा में अंतरिक्ष मलबे के बेहतर प्रबंधन का आग्रह किया है. टकराव से बचाव के लिए अंतरिक्ष स्टेशन की कक्षा को रूसी और अमेरिकी उड़ान नियंत्रकों ने मंगलवार (22 सितंबर) को ढाई मिनट के ऑपरेशन के दौरान दूसरी जगह आगे बढ़ा दिया. नासा ने बताया कि मलबा अंतरिक्ष स्टेशन से 1.4 किलोमीटर यानी करीब एक मील की दूरी से गुजरा.
नासा ने कहा कि जैसे ही युद्धाभ्यास शुरू हुआ, दो रूसी और एक अमेरिकी- कुल तीन चालक दल के सदस्यों को निकट के अंतरिक्ष यान सोयुज में स्थानांतरित कर दिया गया. नासा ने कहा है कि ऐसा करना किसी भी अनहोनी से बचने के लिए बेहद जरुरी था. नासा के मुताबिक इस ऑपरेशन के बाद अंतरिक्ष यात्री अपने सामान्य कामों पर लौट भी आए.
https://twitter.com/JimBridenstine/status/1308517691175645184
नासा प्रमुख जिम ब्रिडेनस्टाइन ने ट्विटर पर लिखा, “युद्धाभ्यास कार्य पूरा..अंतरिक्ष यात्री सुरक्षित ठिकाने से बाहर आ रहे हैं.” उन्होंने ये भी बताया कि वर्ष 2020 में अबतक ऐसा 3 बार किया जा चुका है. जिस मलबे से अंतरिक्ष स्टेशन को खतरा था, वह दरअसल जापानी रॉकेट का एक टुकड़ा है जो 2018 में अंतरिक्ष में भेजा गया था. खगोलविद जोनाथन मैकडॉवेल ने ट्विटर पर बताया कि जापानी रॉकेट पिछले साल 77 अलग-अलग हिस्सों में टूट गया था.
The debris object that ISS avoided is now available on SpaceTrack as 2018-084CQ, 46477, from the breakup of Japan's H-2A F40 rocket stage. At 2221:07 UTC it passed within a few km of ISS at a relative velocity of 14 6 km/s, 422 km over the Pitcairn Is in the S Pacific pic.twitter.com/2T3yFQoFMT
— Jonathan McDowell (@planet4589) September 22, 2020
एक्सपर्ट्स बताते है कि, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन धरती से 260 मील (420 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की कक्षा में करीब 17,000 मील प्रतिघंटे की रफ्तार से घूमती है. इस गति में अगर कोई छोटा सा तिनका भी उससे टकराएगा तो वहां भारी नुकसान होने की आशंका है. ऐसी स्थिति में युद्धाभ्यास जरूरी हो जाता है. उल्लेखनीय है कि, साल 1999 से 2018 तक नासा ने ऐसे करीब 25 अभ्यास किए हैं.
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