गढ़़चिरोली जिले में नशामुक्ति अभियान पर करोड़ों रुपए की निधि खर्च करने पर अब सवाल खड़े किए जाने लगे है. सवाल इस लिए भी उठाये जा रहे है क्योंकि जिले में लम्बे समय से शराब बंदी लागू है. बावजूद इसके यदि जिले में नशामुक्त अभियान के नाम पर करोड़ों रुपयों की निधि खर्च हो रही हो तो इस जिले का विकास कैसे होगा? सवाल उठाने वाले कांग्रेस के डॉक्टर सेल के महासचिव डॉ. प्रमोद सालवे है. आइये जानते है आखिर उन्हें किस बात पर आपत्ति है…
कांग्रेस डॉक्टर सेल के महासचिव प्रमोद सालवे ने उठाया सवाल
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गढ़चिरोली ब्यूरो : जिले में दो दशक से शराबबंदी कानून लागु है. वहीं पिछले कुछ माह से जिले में खर्रा और तंबाकूजन्य पदार्थ की बिक्री भी बंद है. ऐसी स्थिति में जिले में नशामुक्त अभियान चलाना पुरी तरह व्यर्थ है. एक ओर लोगों को नशे से दूर रखने के लिये कानून का सहारा लेकर शराबबंदी, खर्रा बंदी करना और दूसरी ओर नशामुक्ति अभियान के नाम पर करोड़ों रूपये खर्च करना यह उचित नहीं है. जहां नशा होता नहीं है, वहां पर नशामुक्ति अभियान चलाने की जरूरत क्या है? ऐसा सवाल महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी डॉक्टर सेल के महासचिव डॉ. प्रमोद सालवे ने किया है.
अनुदान बंद करने की मांग
डॉ. प्रमोद सालवे ने यह भी कहा है कि, गढ़चिरोली जिले में पूर्णत: शराबबंदी है. वहीं कोरोना कालावधि में जिला प्रशासन द्वारा आदेश जारी कर खर्रा और तंबाकूजन्य पदार्थ बिक्री पर पाबंदी लगाई गई है. जहां शराब नहीं मिलती, खर्रा व अन्य तंबाकूजन्य पदार्थ भी नहीं मिलते है. ऐसे स्थिति में नशामुक्ति अभियान के नाम पर करोड़ों रूपयों का अनुदान किस पर खर्च हो रहा है, इसकी जांच होना बेहद जरूरी है. वहीं नशामुक्त गढ़चिरोली जिले में नशामुक्ति अभियान योजना तत्काल बंद कर जनता के पैसों का बेफिजुल खर्च करना बंद करें. ऐसी मांग डॉ. प्रमोद सालवे ने की है.
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