सुप्रीम कोर्ट में पेश हलपनामे में केंद्र सरकार ने कहा
नई दिल्ली : लोन मोरेटोरियम मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. इसमें कहा गया है कि 2 करोड़ तक के ऋण (लोन) के लिए चक्रवृद्धि ब्याज माफ करने के अलावा कोई और राहत देना राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और बैंकिंग क्षेत्र के लिए हानिकारक हो सकता है.
सरकार ने कोर्ट को बताया कि 2 करोड़ तक के ऋणों के लिए चक्रवृद्धि ब्याज माफ करने के तौर तरीकों को कैबिनेट द्वारा मंजूरी मिलने के बाद जारी किया जाएगा. हलफनामे में कहा गया है कि बैंकों को अधिसूचना की तारीख से एक महीने के भीतर चक्रवृद्धि ब्याज माफी योजना को लागू करना होगा.
केंद्र ने कहा कि कामत समिति कि रिपोर्ट के आधार पर महामारी से निपटने के लिए क्षेत्र विशेष राहत के लिए एक विशेष सूत्र पर पहुंचना संभव नहीं है. कोर्ट को बताया गया कि गंभीर आर्थिक और वित्तीय तनाव को ध्यान में रखते हुए सरकार और आरबीआई द्वारा निर्णय लिए गए हैं. शीर्ष अदालत ने विभिन्न क्षेत्रों में उधारकतार्ओं के लिए राहत पर विचार करने के लिए सरकार को एक हफ्ते का वक्त दिया था. इस मामले में 13 अक्तूबर को सुनवाई होनी है. वहीं आरबीआई ने अपने नए हलफनामे में कहा है कि छह महीने से अधिक की लंबी मोहलत उधारकतार्ओं के क्रेडिट व्यवहार को प्रभावित कर सकता है और निर्धारित भुगतानों को फिर से शुरू करने में देरी के जोखिम को बढ़ा सकता है.
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