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सजना है मुझे : सोने के गहने खरीदने से पहले जान लीजिए नियम, रहेंगे टेंशन फ्री

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Photo credit : Model Vidisha Dilip Surve, 201 hudkeshwar Sawarbandhe layout Nagpur 440034

अब अगर आप भी सोने के गहने खरीदने का प्लान बना रहे हैं तो ये खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं. क्योंकि, ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (बीआईएस) ने 1 जनवरी 2020 से सोने की शुद्धता मापने के नियमों में परिवर्तन कर दिया है. अब भारत में सोने की ज्वेलरी और कलाकृतियों के लिए BIS हॉल मार्किंग अनिवार्य (BIS Hallmarking for Gold Jewelry) हो गया है.

हॉलमार्किंग के नियम
बीआईएस के नए नियम के मुताबिक देश में हॉलमार्क सोने की ज्वैलरी अब तीन ग्रेड 14 कैरट, 18 कैरट और 22 कैरट में उपलब्ध होगी. हॉलमार्की की गई ज्वैलरी पर अब 4 तरह के निशान मौजूद रहेंगे. पहला, बीआईएस मार्क, दूसरा प्योरिटी(कैरेट में), तीसरा सोने में खारापन (उदाहरण 22 कैरेट सोने के लिए 22के916) और चौथा ज्वैलर्स के निशान के साथ-साथ हॉलमार्किग सेंटर की पहचान.

क्यों की जाती है हॉलमार्किंग
भारत में हॉलमार्किंग प्रक्रिया न सिर्फ गोल्ड मॉनेटाईजेशन स्कीम को सफल बनाने के लिए की जाती है बल्कि इसके सहारे देश से सोने की ज्वैलरी के निर्यात को मौजूदा 8 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर अगले पांच सालों में 40 बिलियन डॉलर तक ले जाना भी है.

कौन करता है हॉलमार्किंग
देश में सोने की हॉलमार्किंग कानूनी तौर पर जरूरी नहीं है. लेकिन इसे सोने की शुद्धता पर मुहर लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है और देश में लोग इस हॉलमार्किंग को देखने के बाद सोने की शुद्धता पर सवाल नहीं उठाते. कंज्यूमर अफेयर मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (बीआईएस) पर सोने की हॉलमार्किंग का प्रशासनिक कार्यभार है.

घर पर रखें ज्वेलरी से जुड़े नियम 

(1) दुल्हन को शादी में मिली ज्वेलरी पर टैक्स नहीं लगता है. सास-ससुर, माता-पिता से मिले गोल्ड पर टैक्स नहीं देना होता है. सास की ज्वेलरी विरासत में मिली है तो उस पर भी टैक्स नहीं देना होता है. गिफ्ट डीड या वसीयत में मिले गहने टैक्स के दायरे में नहीं है.

(2) टैक्स एक्सपर्ट प्रीति कहती हैं कि घर में सोना-चांदी (Gold-Silver) के गहने रखने की कोई लिमिट नहीं है. लेकिन घर पर रखे गहने के लिए इनकम का सोर्स बताना जरूरी होता है. नोटबंदी (Note Ban) के बाद घर पर रखे सोने का सोर्स बताना जरूरी हो गया है. 1 दिसंबर, 2016 के बाद CBDT ने ये नियम तय किए हैं.

(3) लेकिन सोने खरीदने पर पक्का बिल यानी इन्वॉयस होना जरूरी. इनकम टैक्स विभाग की ओर से पूछताछ पर इन्वॉयस काम आएगा. सालाना 50 लाख रुपये से ज्यादा इनकम पर घर में रखे सोने की कीमत की जानकारी रिटर्न में देनी होगी. रिटर्न में एसेट्स और लायबिलिटी के विकल्प पर सोने की कीमत भरें.

(4) इकनम टैक्स डिपार्टमेंट ने एक सर्कुलर में कहा था अगर किसी के घर पर छानबीन होती है और सोना पाया जाता है तो उसके कुछ लिमिट्स हैं. शादीशुदा महिलाओं को 500 ग्राम सोने रखने की छूट है. 250 ग्राम अविवाहित महिला के लिए और 100 ग्राम त

क पुरुषों को सोना रखने की छूट है.

(5) टैक्स एक्सपर्ट प्रीति कहती हैं कि सोने की बिक्री पर कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है. 3 साल से पहले सोना बेचने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगेगा. अगर 3 साल के बाद बेचते हैं लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगेगा. इस पर 20 फीसदी टैक्स की देनदारी बनेगी.

(6) अगर आपकी टैक्सेबल इनकम 50 लाख से ज्यादा है तो आपको अपनी ज्वेलरी की डिटेल ITR में देनी पड़ेगी.अपनी ज्वेलरी की जानकारी हमेशा अपने पास रखें. गहनों की रसीद हमेशा संभालकर रखें. IT द्वारा मांगे जाने पर ज्वेलरी के जुड़े सारे कागजात दें. इनकम टैक्स विभाग ज्वेलरी को जब्त कर सकता है. ज्वेलरी का सोर्स नहीं बताने पर IT विभाग जब्त कर सकता है. घर पर रखे गहनों का सोर्स नहीं बताने पर टैक्स भी लगेगा. IT विभाग गहने जब्त करने के साथ 138% का टैक्स भी लगाएगा.

  • गोल्ड पर टैक्स का गणित
    >> शादी में मिले सोने पर कोई टैक्स नहीं लगता.
    >> गोल्ड चाहे रिश्तेदारों से मिला हो या दोस्तों से टैक्सेबल नहीं.
    >> शादी में मिले गोल्ड को बेचने पर टैक्स के नियम है.
    >> शादी में मिले गोल्ड के बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स लगेगा.
    >> गोल्ड तीन साल से पहले बेचा तो शार्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स.
    >> तीन साल के बाद बेचा तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा.
    >> पुराने गहने को देकर नयी ज्वेलरी उसी गोल्ड से बनवाई तो टैक्स नहीं.
    >> पुरानी ज्वेलरी के बदले नई ज्वेलरी पर टैक्स देना पड़ेगा.