नई दिल्ली ब्यूरो : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) अपने मेंबर्स को ऑनलाइन माध्यम से प्रोफाइल में ‘बड़े बदलाव’ करने की अनुमति नहीं देगा. प्रोफाइल में ऑनलाइन करेक्शन की वजह से रिकॉर्ड में मिसमैच की गुंजाईश होगी. इससे फ्रॉड की भी आशंका बढ़ जाएगी. इस संबंध में ईपीएफओ ने क्षेत्रीय कार्यालयों और मेंबर संस्थाओं को एक सर्कुलर भी जारी किया है. इस सर्कुलर में स्पष्ट कहा गया है कि वे किसी कागजी प्रुफ के बिना किसी भी कर्मचारी के रिकॉर्ड में सुधार न करें. यह सर्कुलर वित्त वर्ष 2021-22 के लिए ब्याज दर के ऐलान से ठीक पहले आया है.
वित्त वर्ष 2020 में ऐसे कई मामले सामने आए थे, जिसकी वजह से ईपीएफओ को करीब 10 फीसदी सब्सक्राइबर्स को ब्याज का भुगतान रोकना पड़ा. ईपीएफओ ने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों को निर्देश दिया है कि वे कर्मचारियों और नियोक्ताओं द्वारा दिए गए प्रुफ को ऑडिट के लिए बचाए रखें.
प्रुफ सबमिट करने के बाद ही होगा बदलाव
सर्कुलर में कहा गया है, ‘सामान्य स्थिति में किसी भी मेंबर के प्रोफाइल में ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यम से बड़े सुधार या बदलाव नहीं किए जा सकते हैं. हालांकि, किसी बेहद जरूरी स्थिति में कानूनी प्रावधान के तहत कुछ बदलाव किए जा सकते हैं. अगर नियोक्ता ने गलत डेटा अपलोड कर दिया है तो प्रुफ के साथ इसमें सुधार किया जा सकता है. ये प्रक्रिया पूरे वेरिफिकेशन फॉलो करने के बाद ही पूरी होगी.’
इसमें कहा गया कि पिता/पति का नाम, जन्मतिथि व जेंडर को लेकर गलत जानकारी सुधारने की सुविधा दी गई थी. लेकिन कुछ मामलों में देखा गया कि पूरा नाम और प्रोफाइल में कई बड़े बदलाव कर दिए गए हैं. इससे फ्रॉड का खतरा बढ़ गया है.
क्या हैं बदलाव
ईपीएफओ ने अनुपालन में सहूलियत के लिए छोटे एवं बड़े बदलावों को वर्गीकृत कर दिया है. अगर किसी नाम, उपनाम में बिना पहला लेटर बदले सुधार किया जाता है तो इसे छोटा बदलाव माना जाएगा. इसी प्रकार अगर मिडिल नाम या शादी के बाद सरनेम में बदलाव में करना है तो आधार कार्ड में दिए गये के नाम के आधार पर ही बदलाव होगा. लेकिन नाम में पूरा बदलाव करने की अनुमति नहीं होगी. बड़े बदलाव में पूरा नाम बदलना शामिल है. इसे नियोक्ता द्वारा विस्तृत जानकारी दिए जाने और प्रुफ सबमिट किए बिना ऑनलाइन प्रोसेस के जरिए नहीं बदला जा सकता है.
अगर कोई संस्था बंद हो चुकी है तो डॉक्युमेंट्स के साथ सैलरी स्लिप और पीएफ स्लिप भी अहम होगा. ईपीएफओ ने क्षेत्रीय कार्यालयों को पहले ही निर्देश दे दिया है कि सबमिट किए गए प्रुफ को बचा कर रखना है और ऑडिट के समय इसे उपलब्ध कराना होगा.