आज इस मतलबी दुनिया में कोई भी दूसरों के लिए सोचना नहीं चाहता है. किसी को इतनी फुर्सद नहीं है. लेकिन महाराष्ट्र के सुदूर, नक्सल प्रभावित गडचिरोली जिले में एक ऐसी मिसाल पुलिस के जवान और अधिकारियों ने पेश की है कि इंसानियत जिंदाबाद हो गई. माता-पिता का साया खो चुकी पांच बेसहारा बहनों के लिए पुलिस अभिभावक बनकर आगे आई और उसने इन बच्चियों के लिए पक्का मकान बनाकर दिया.
गडचिरोली जिले की अहेरी तहसील के सुदूर छल्लेवाड़ा गांव में रहने वाले तिरुपति दुर्गे मजदूरी कर जीवन बिता रहे थे. इसी दौरान दिसंबर माह में उनका निधन हुआ. उल्लेखनीय है कि उनके पत्नी की 6 साल पहले ही मृत्यु हो चुकी थी. दुर्गे को 5 बेटियां है. यह बहने मजदूरी कर किसी तरह अपना लालन -पालन कर रही थी. एक झोपड़ी में किसी तरह ये बहनें रह रही थी.
ग्रामभेट में पता चला
उनकी माली हालत के बारे में गडचिरोली पुलिस को ग्रामभेट में पता चला. सनद रहे कि गडचिरोली पुलिस नक्सल विरोधी अभियान के अंतर्गत लंबे समय से ग्रामभेट अभियान चला रही है. इस अभियान के माध्यम से ही अबतक सुदूर इलाको में रहनेवाले ग्रामीणों के सैकड़ो काम पुलिस ने किये है. रेपनपल्ली के प्रभारी पुलिस उप निरीक्षक विश्वास सिंघाड़े और उप निरीक्षक विनोद आबूज के नेतृत्व में एक दल ने इन बहनों के झोपड़े की हालत देखी और यह फैसला लिया कि उन्हें पक्का मकान बना कर देंगे.
जवानों ने इकट्ठा किया चंदा, पूर्व अधिकारी आगे आए
स्थानीय पुलिस, राज्य आरक्षित बल के जवानों से इस संबंध में चर्चा की गई. सभी ने चंदा इकट्ठा किया. यह राशि उन बहनो की मदद के लिए खर्चने का फैसला लिया गया. गडचिरोली में अपनी सेवाए दे चुके पुलिस अधिकारी दत्ता भास्कर को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने पुणे के मॉडल महाविद्यालय की 1992 की बैच के व्हाट्सएप ग्रुप पर इस संबंध में जानकारी साझा की. उनके सभी मित्रों ने चंदा इकट्ठा कर 60,000 रुपयों की राशि जमा की और यह राशि भी गडचिरोली पुलिस को भेज दी. अहेरी के उड़ान फाउंडेशन ने छत की व्यवस्था की. जवानों ने जो राशि जमा की थी उसमें बर्तन और कपड़े दिए गए. मकान का काम पूरा होने पर इस गुरुवार को रेपनपल्ली पुलिस और ग्रामीणों की मौजूदगी में इन बहनों ने अपने नए मकान में प्रवेश किया.